About the Book
यह उपन्यास चक्रवर्ती सम्राट 'अशोक मौर्य' के जीवन पर आधारित है। मौर्य काल प्रत्येक दृष्टिकोण से भारत के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण काल-खंड रहा है। इस दौरान भारतवर्ष ने उस महानता को प्राप्त न कर सका था। वैदिक-काल और बौद्ध-काल के समापन के पश्चात, मौर्य-काल ही वह काल था जिसमें उन सभी विचारों अथवा व्यवस्थाओं की नींव रखी गयी, जिन्होंने भारतवर्ष के भविष्य का निर्माण किया। इसका उल्लेख सम्राट अशोक के शिला लेखों में स्पष्टता से प्राप्त होता है। कदाचित यही कारण है कि आज भी हमारे देश का राष्ट-चिन्ह अशोक स्तम्भ (सारनाथ) है और हमारे देश के पश्चिम पर भी 'अशोक-चक्र' अंकित है।
इस उपन्यास में लेखक ने सम्राट अशोक के जीवन और उनके विचारों को विस्तार से प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। साथ ही मौर्य-काल में उपस्थित विचारों और व्यवस्थाओं को भी प्रस्तुत किया गया है। इसके लिए लेखक ने काल्पनिक पत्रों और घटनाओं का आश्रय लिया है, तथा ग्रंथों में उल्लेखित घटनाओं, और उनके पीछे के कारणों को अपने तरीके से प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।