About the Book
इतिहास, संस्कृति और धर्म को समझने की वैज्ञानिक दृष्टि
इतिहास का संस्कृति और धर्म के साथ बहुत गहरा सम्बन्ध है। सुप्रसिद्ध प्राच्यविद् ए. एल. बाशम ने प्राचीन भारत की चर्चा करते हुए लिखा था:
“भारत एक प्रफुल्लित देश है, जहाँ के निवासियों ने एक जटिल और विकसित होती हुई, सामाजिक व्यवस्था में, उपयुक्त स्थान ढूँढ़ते हुए प्राचीन काल के दूसरे राष्ट्रों से कहीं अधिक दयालुता और भद्रता के सह सम्बन्धों में उच्चतम स्तर प्राप्त किया है।”
बाशम का यह कथन भारत के इतिहास, संस्कृति और धर्म के विषय में बहुत कुछ कह देता है। अश्विनीकुमार दुबे की यह कृति - ‘भारत : इतिहास, संस्कृति और धर्म’ इसी परिप्रेक्ष्य में एक रचनात्मक प्रयास है।
इतिहास के विभिन्न कालखण्डों और क्रमिक सोपानों में विकसित होती हुई सांस्कृतिक चेतना और धर्म प्रवाहों को संयुक्त दृष्टि से संश्लेषित करती हुई यह कृति अपने मूल स्वरूप में वैचारिक पक्षधरता से मुक्त एक तटस्थ और निरपेक्ष विश्लेषण है। लेखक भारतीय संस्कृति की प्रवाहमयी जीवंतता और निरन्तर समृद्ध होती हुई अनुभव संपन्नता को स्वीकार करता है। वह सनातन धर्म की अवधारणा में व्यापक और सर्वजनीन विचार-दर्शन की कल्पना करता है, जिसमें सम्पूर्ण मानवता समाहित है। यह व्यापक चिन्तन-दृष्टि इस कृति की प्रमुख विशेषता है। भारत के राज्यों के बारे में जानकारी देकर लेखक ने विविधिता के एकीकरण का जो रचनात्मक प्रयास किया है, वह सराहनीय है।
विश्वास है कि हिन्दी के सुधी पाठक इस कृति का स्वागत करेंगे।
--प्रो. महेश दुबे, इन्दौर