About the Book
चार इमली उपन्यास एक सामाजिक पहलू की अंतर्दशा का बोध करता है I ऊँचे पदों पर बैठे लोग बाहरी आवरण से भद्र दिखते हैं पर उनकी कार्यशैली की कुरूपता वे स्वयं अनायास व्यक्त कर देते है I चाहे प्रशासनिक क्षेत्र हो, चाहे चिकिसकीय क्षेत्र, न्यायालयीन क्षेत्र या शैक्षणिक क्षेत्र, उन क्षेत्रों में पदासीन व्यक्ति अन्यों से सब अपेक्षायें रखते हैं पर स्वयं खोखली नीँव पर अपना अस्तित्व बनाते हैं I प्रयास चिंतनीय व् सोचनीय है I अनुकरणीय कदापि नहीँ I
शासन / प्रशासन के वे राज़ जो उजागर नहीँ हो पाते हैं, वे चार इमली (जो वास्तव में भोपाल का प्रशासनिक रहवासी क्षेत्र है) में उजागर हुए हैं I
About the Author(s)
डॉ. अरविन्द जैन 1974 में हाउस फिज़ीशियनशिप करने के बाद योग्यता के आधार पर 1975 में भारतीय चिकित्सा पद्धति एवं होम्योपैथी म. प्र. शासन भोपाल द्वारा आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी, अधीक्षक-सह जिला आयुर्वेद अधिकारी, संभागीय अधिकारी आयुर्वेद, रजिस्ट्रार एवं प्रशासक (म. प्र. आयुर्वेद बोर्ड, भोपाल), राज्य स्तरीय आयुर्वेद औषधि निरीक्षक तथा विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी के पद पर कार्यरत होकर वे मार्च २०११ में शासकीय सेवा से सेवानिवृत हुए I
सेवानिवृत होने क बाद ही उन्होंने साहित्य सृजन के क्षेत्र में उतारकर अल्प अवधि में 'आनंद कही अनकही' उपन्यास आत्मकथा के रूप में लिखकर शाहित्य के पटल पर अपना कीर्तिमान स्थापित किया I