About the Book
विफलताओं को स्वीकार करना अपने आप में बेहद मुश्किल काम है। यह कहने में बहुत साहस लगता है, कि हाँ, मैं असफल रहा/रही। 'हार से जीत तक' में श्वेता पुंज ने ऐसे 16 लीडरों का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया है जिन्होंने अपनी विफलता का भी उतना ही आनंद लिया जितना कि सफलता का। प्रत्येक कहानी विफलता का विश्लेषण करती है। चाहे वह 'आवश्यकता' और 'इच्छा' के बीच का वह अंतर रहा हो, जिसके कारण अभिनव बिन्द्रा अपना विजयी निशाना लगाने से चूक गए, या फिर सब्यसाची मुखर्जी द्वारा किया गया आत्महत्या का प्रयास जिसने उन्हें उनकी पूरी क्षमता से परिचित करवाया - ये कहानियाँ आपको इस तरह प्रभावित करेंगी, कि आप विफलता को एक अलग नज़रिये से देखने लगेंगे।