About the Book
हिंदी फ़िल्म संगीत की मर्मज्ञ डॅा. मृदुला दाढे-जोशी द्वारा
लिखित इस रोचक पुस्तक में जानिए –
हिंदी फ़िल्में और फ़िल्म संगीत का सुनहरा दौर कैसा था
इस कालखंड में किन-किन संगीतकारों ने सुनहरे अक्षरों में अपना नाम लिखा है
हर संगीतकार का वाद्य प्रयोग करने का तरीका अलग कैसे था, उनकी क्या
विशेषताएँ थीं और उनके अजर-अमर गीत कौन से हैं
उन गीतों की धुनों की तथा वाद्य संयोजन की क्या विशेषताएँ हैं
गीत में प्रयुक्त पद्धतियों और नए प्रयोगों का क्या महत्त्व है
इन गीतों के किन अंशों को हृदयग्राही कहा जा सकता है
वर्षों पुराने ये गीत श्रोताओं पर जादू कैसे कर सकते
About the Author(s)
डॉ. मृदुला दाढे-जोशी,
एम.ए. पी.एच.डी
जन्म : 19 जनवरी 1969
पण्डित गजानन बुवा जोशी, पण्डित एस.के. अभ्यंकर,
पण्डित मधुकर जोशी, डॉ.आशा पारसनीस जोशी
से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा प्राप्त।
उस्ताद इक़बाल गिल से उर्दू उच्चारण और ग़ज़ल
गायकी की शिक्षा प्राप्त।
मनोविज्ञान में विशेष योग्यता के साथ स्नातक।
संगीत विषय में एम.ए., विश्वविद्यालय में प्रथम।
हिंदी फिल्म संगीत की बारीकियों का वर्णन करते हुए
गायन के कई कार्यक्रम प्रस्तुत किए हैं।
अनेक फिल्मों में पार्श्व गायन, संजय लीला भंसाली
की फ़िल्म देवदास में शास्त्रीय संगीत के आलाप।
वे एक बेहतरीन अभिनय कलाकार भी हैं।
‘हिंदी फ़िल्म संगीत के प्रयोगधर्मी संगीतकार’ विषय
में एस.एन.डी.टी. विश्वविद्यालय से पी.एच.डी।
इसी विषय से संबंधित अनेक शोध लेख मान्यता
प्राप्त संगीत परिषदों में प्रस्तुत।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोध प्रबंध प्रसिद्ध हुए हैं।
वर्तमान में मुम्बई विश्वविद्यालय के संगीत विभाग में
प्राध्यापक के रूप में कार्यरत्।
2019 में रहें ना रहें हम (मराठी) को संगमनेर इतिहास संशोधन केंद्र द्वारा ‘शाहिर अनंत फंदी पुरस्कार’ प्राप्त हुआ
2019 में पुणे के ‘स्वरानंद प्रतिष्ठान’ द्वारा ललित संगीत क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए ‘डॉ. उषा अत्रे वाघ पुरस्कार’ प्राप्त हुआ
2019-20 में लेखिका ने मुंबई आकाशवाणी केंद्र अस्मिता वाहिनी पर मराठी संगीतकारों के अनूठे प्रायोगिक योगदान पर तेरह भागों की मालिका प्रस्तुत की जिसका संशोधन, लेखन तथा प्रस्तुतिकरण उन्होंने खुद किया था