About the Book
भारत के नंबर एक समाचारपत्र के साम्राज्य का निर्माण करना किसी वास्तुकार की योजना के सामान ही था - रमेश चंद्र अग्रवाल ने संस्करण दर संस्करण, शहर दर शहर, राज्य दर राज्य अपनी बुनियाद रखते हुए, निर्भीक हो कर शक्तिशाली संस्थानों के गढ़ ध्वस्त किए।
उन्होंने साहस का यह गुण अपने पिता से विरासत में पाया। रमेश चंद्र ने जोखिम उठाने की अद्भुत क्षमता और अज्ञात के अन्वेषण की जिज्ञासा के साथ इस साहस का मेल करते हुए, उन सभी प्रतिद्वंदियों को कड़ा प्रत्युत्तर दिया, जो अपने कार्यक्षेत्र में पहली बार पदार्पण करने वाले व्यक्ति का उपहास कर रहे थे।
35 वर्षों के अल्प समय में उन्होंने पारिवारिक स्वामित्व वाले छोटे-से अख़बार को पाठकों की पहली पसंद बना दिया, जिसे 12 राज्यों में 64 संस्करणों के माध्यम से पढ़ा जा रहा था। इसके साथ ही उन्होंने 5 000 करोड़ रूपए के टर्नओवर का बड़ा साम्राज्य खड़ा कर दिया। परंतु हिंदी अख़बार जगत में लाई गई क्रांति को उनकी सबसे बड़ी व्यावसायिक उपलब्धि कहा जा सकता है। उन्होंने हिंदी के विशुद्ध साहित्यक रूप को अपने पाठकों के लिए लोकप्रिय व बोलचाल वाले शब्दों से युक्त भाषा में बदल दिया, जिससे हिंदी के साथ संबन्ध बनाना और भी सरल हो गया।
उन्होंने हिंदी समाचारपत्र को अभूतपूर्व सम्मान दिया और आजीवन एक चैम्पियन की तरह मैदान में डटे रहे।
यह एक चैम्पियन की गाथा है।
"वे अपने बूते पर बेहद सफल होने वाले व्यक्ति थे, और साथ ही विनम्र तथा ही विनम्र तथा दयालु भी थे। वे एक ऐसे व्यक्ति थे जिनके साथ लोग जुड़ना और सीखना चाहते थे।"
- कुमार मंगलम बिड़ला, चेयरमैन, आदित्य बिड़ला ग्रुप
"मनमोहन मुस्कराहट और सौम्य व्यक्तित्व के साथ वे हमेशा कुछ नया सीखने के लिए तत्पर रहते थे।"
- राकेश झुनझुनवाला, स्टॉक मार्केट विशेषज्ञ
"अख़बार से जुड़े आदमी तभी मित्रता हो सकती है जब आपको यह समझ हो कि आखिरकार अख़बार आपका प्रवक्ता नहीं हो सकता।"
- कमल नाथ, मुख्य मंत्री, मध्य प्रदेश
"उन्होंने मध्य प्रदेश को एक नई पहचान दी है और प्रदेश के ब्रांड एम्बेसेडर कि तरह काम किया है।"
- शिवराज सिंह चौहान, मध्य प्रदेश के भूतपूर्व मुख्य मंत्री
"दैनिक भास्कर मध्य प्रदेश में विशालतम प्रसार संख्या वाला अख़बार है। यह बहुत प्रभावशाली है। इसने हिंदी पत्रकारिता को प्रतिष्ठा दी है।"
- दिग्विजय सिंह, मध्य प्रदेश के भूतपूर्व मुख्य मंत्री
"साल डर साल उनक नाम इंडिया टुडे की पावर लिस्ट में बना रहा। मैंने ऐसे बहुत-से लोग देखे हैं जो उनसे बेहद कम प्रतिष्ठित हैं परंतु दस गुना अधिक घमंडी हैं।"
- सुनील अरोड़ा, प्रमुख चुनाव आयुक्त