About the Book
वाजपेयी: एक राजनेता के अज्ञात पहलू
उल्लेख एन. पी.
भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय प्रधानमंत्रियों में से एक पर रोचक पुस्तक!
- वॉल्टर ऐंडरसन
'यह गहन शोध के बाद बेहतरीन ढंग से लिखी गई पुस्तक है जो स्वतंत्रता के बाद की राजनीति के सर्वाधिक आकर्षक व्यक्तित्वों में से एक पर सारगर्भित तरीके से प्रकाश डालती है I एक ऐसा व्यक्ति जो आरएसएस की पृष्ठ्भूमि से विकसित होकर प्रधान मंत्री बना, वह, लेखक के शब्दों में "नेहरूवादी परिवेश में आगे बढ़ा I" वह संभवतः श्रेष्ठ कांग्रेसी था जो इस पार्टी में कभी नहीं रहा - यह पुस्तक बताती है कि क्यों और कैसे?
- मणिशंकर अय्यर
'अटल बिहारी वाजपेयी कि यह जीवनी भारतीय राजनीति का परिदृश्य भी प्रस्तुत करती है I'
- डॉन
'यह पुस्तक वाजपेयी के राजनितिक जीवन का विस्तृत ब्यौरा देती है I '
- टेलीग्राफ़
सांसद में नेहरूवाद से मिलते-जुलते अपने 'धर्मनिरपेक्ष' बयानों के बावजूद अटल बिहारी वाजपेयी यदा-कदा कट्टरपंथी जमात में थोड़ी घुसपैठ कर जाते थे I 1983 में उन्होंने असम चुनावों के दौरान भड़काऊ भाषण दिया जिससे प्रदेश में 'बांग्लादेशी विदेशियों' की मौजूदगी बड़ा मुद्दा बन गया I यहां तक कि भाजपा ने भी वाजपेयी के भाषण से किनारा कर लिया I संभवतः इस भाषण के कारण उस वर्ष असम के नल्ली में 2000 से अधिक लोगों का संहार हुआ, जिनमें से ज़्यादातर मुस्लिम थे I
वाजपेयी भारत के चतुर राजनेताओं में से एक हैं और उन्हें कई तरह की विरोधाभासी बातें करने के लिए जाना जाता है : उग्रवादी राष्ट्रवादी से अपने गुप्त पारिवारिक जीवन तक, साम्यवाद के प्रति रुझान, भोजनप्रियता और यदि स्वयं को उदारवादी के रूप में पेश न कर सके तो मध्यमार्गी की तरह पेश करने तक I यह पुस्तक वाजपेयी के करियर के अहम पड़ावों और एक अनुभवी राजनेता के रूप में उनकी विशेषताओं को खंगालती हुई उनके अपनी पार्टी के नेताओं से संबंधों और आरएसएस तथा उसके सहयोगी संगठनों के साथ प्रेम व् द्वेष वाले संबंधों पर नज़र डालती है I बेहतरीन शोध, पुख़्ता तथ्यों से समर्थित तथा अंतर्कथाओं और उपाख्यानों के साथ, अंतर्दृष्टियों से युक्त साक्षात्कारों तथा सहेजने योग्य छायाचित्रों से सज्जित यह पुस्तक एक कवि-राजनेता के जीवन की झलक पेश करती है I
(अनुवाद: महेंद्र नारायण सिंह यादव)