About the Book
गणपत 'स्वरुप' पाठक का कवि मन गति काव्य से प्रेरित है. उसमें चन्द नहीं हैं, कोई गीत भी नहीं है, लेकिन एक तरह की लय है जो सभी कविताओं में सुनी और महसूस की जा सकती है. 'छाँव बरगद की' जीवन के विभिन्न संघर्षों के रेखाचित्र खींचते हुए प्रकृति के बहुल रंगों को समाये हुए है, जो मानव की जिजीविषा को प्रवाहमान रखते हैं.
About the Author(s)
गणपत 'स्वरुप' पाठक का जन्म सन 1974 में मथुरा में श्री दीपचंद और श्रीमती लीला देवी पाठक के यहाँ हुआ I आपने राजनीती-शास्त्र और हिंदी में पोस्ट-ग्रेजुएट एवं शिक्षा में ग्रेजुएट की उपाधि प्राप्त की है I आपने कविताएँ. गीत और ग़ज़लों के अलावा जान चेतना के लिए कई नुक्कड़ नाटक व कहानियाँ भी रची हैं I वर्त्तमान में एक प्रतिष्ठित विद्यालय में हिंदी अध्यापक के रूप में कार्यरत हैं I