Lanka ki Rajkumari ( Hindi)

Lanka ki Rajkumari ( Hindi)

Author : Kavita Kané

In stock
Rs. 299.00
Classification Fiction
Pub Date Feb 2020
Imprint Manjul Publishing House
Page Extent 370
Binding Paperback
Language Hindi
ISBN 9789389647570
In stock
Rs. 299.00
(inclusive all taxes)
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About the Book

लंका की राजकुमारी
'हां, में राक्षसी हूं!' मीनाक्षी ने चीखकर कहा।
उसकी आंखें चमक रही थीं। उसने अपनी माँ को नाखून दिखाते हुए कहा, 'इन्हें देखा है? यदि किसी ने मुझे चोट पहुंचाई तो मैं उसे अपने नाखून से घायल कर दूंगी। मैं शूर्पणखा हूं!'
रावण की प्रसिद्द बहन शूर्पणखा को सामान्य तौर पर कुरूप, जंगली, निर्दयी और निर्लज्ज माना जाता है। लक्ष्मण ने क्रोधवश शूर्पणखा की नाक काट दी थी। शूर्पणखा ने युद्ध का आरंभ किया, परंतु क्या सचमुच वह युद्ध आरंभ करने की दोषी थी? अथवा वह केवल परिस्तिथियों की शिकार थी? वह 'लंका की राजकुमारी' थी, या लंका के विनाश का कारण?
शूर्पणखा का अर्थ है, एक ऐसी स्त्री जो नाखून की भांति कठोर हो। उसके जन्म का नाम मीनाक्षी था, अर्थात मछली जैसी सुंदर आंखों वाली। शूर्पणखा, रामायण की ऐसी पात्र है जिसे सदा गतल समझा गया है। वह उन भाइयों की छत्र-छाया में बड़ी हुई, जिनकी नियति में युद्ध लड़ना, जीतना तथा ख्याति व प्रतिष्ठा अर्जित करना लिखा था। परन्तु इस सबके विपरीत शूर्पणखा के जीवन का मार्ग पीड़ा और प्रतिशोध से भरा था।
शूर्पणखा को राम और रावण के बीच घटनाओं को चालाकी से नियोजित करने का दोषी माना जाता है, जिसके फलस्वरूप राम व रावण में युद्ध हुआ और शूर्पणखा के संपूर्ण परिवार का विनाश हो गया। कविता काणे की यह पुस्तक हमें कुछ परिचित घटनाओं को उस शूर्पणखा की आंखों से देखने का अवसर देती है, जिससे संसार आवश्यकता से अधिक घृणा करता है..

About the Author(s)

कविता काणे बेस्ट सेलिंग पुस्तक कर्ण संगिनी: एक परित्यक्त की रानी की लेखिका हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत पत्रकार के रूप में की और अब वह पूर्णकालिक लेखिका हैं। वह अंग्रेजी साहित्य व जनसंचार में पोस्ट- ग्रैजुएट हैं। वह रंगमंच और सिनेमा जगत में गहरी रूचि रखती हैं। उन्होंने एक मरीनर से विवाह किया है और उनकी दो बेटियाँ हैं। वह अपने कुत्ते चिक और बिल्ली कॉटन के साथ पुणे में रहती हैं।

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