Hamare Shehron Ka Rupantaran ( Hindi)

Hamare Shehron Ka Rupantaran ( Hindi)

Author : Isher JudgeAhluwalia

In stock
Rs. 299.00
Classification Politics and Governemnt
Pub Date April 2017
Imprint Manjul Publishing House
Page Extent 248
Binding Paperback
Language Hindi
ISBN 9788183228039
In stock
Rs. 299.00
(inclusive all taxes)
OR
About the Book

हमारे शहर आज संकट में हैं और उन्हें पुनर्जीवन देना आने वाले वर्षों में देश के लिए बड़ी चुनौती है. इन शहरों में करोड़ों लोग पानी और सफ़ाई व्यवस्था जैसी आधारभूत सुविधाओं के बिना रहते हैं. भारत की शहरी जनसंख्या के सं २०३१ तक ६० करोड़ हो जाने का अनुमान है और तब स्थिति बहुत विकराल हो जाएगी.

यह पुस्तक भारत के कुछ शहरों में हाल ही के वर्षों में किए गए प्रयासों पर आधारित है, जो इस अंधकार में आशा की किरण जगती है. उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र में मलकापुर वह पहला शहर है जिसने अपने निवासियों के लिए चौबीस घंटे जल प्रदाय को सुनिश्चित किया है. गुजरात में सूरत शहर का प्लेग की महामारी वाले शहर से रूपांतरित होकर सबसे स्वच्छ शहरों में से एक बनना भी सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है. दिल्ली के आसपास जैव विविधता को पुनः संचित करना, पुणे की पाषाण झील को इसके पूरक स्वरुप में वापस लाना और भुवनेश्वर की समृद्ध विरासत को बनाए रखने के लिए इस मंदिर के नगर संरक्षण हेतु काम किया जाना, रूपांतरण के कुछ अन्य उदाहरण हैं.

इस पुस्तक में दी गयी केस स्टडीज़ को ईशर जज अहलूवालिया द्वारा इंडियन एक्सप्रेस और फ़ाइनैंन्सियल एक्सप्रेस में उनके मासिक कॉलम "पोस्टकार्ड्स ऑफ़ चेंज" के लिए लिखा गया था. उन्हीं लेखों के बेहतर संस्करण इस पुस्तक में प्रस्तुत किए गए हैं. हैदराबाद, बेंगलुरु, अहमदाबाद, इंदौर, जयपुर, मगरपट्टा और अन्य कई शहरों ने शहरीकरण की चुनौतियों का जवाब नवाचारी तरीकों से दिया है.
अब समय आ गया है कि भारत के शहरों के लोग अच्छे प्रशासन और ज़िम्मेदारी भरे व्यव्हार की माँग रखें और रूपांतरण की इन प्रक्रियाओं को आगे ले जाएँ, जिससे शहरी भारत की दिशा में बदलाव को सुनिश्चित किया जा सके.

About the Author(s)

ईशर जज अहलूवालिया जनि मानी अर्थशास्त्री हैं और इंडियन कॉउन्सिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशन्स (ICRIER) की अध्यक्ष हैं . वे भारत सरकार द्वारा २००८-२०११ में अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर एंड सर्विस के क्षेत्र में गठित की गई हाई पावर्ड एक्सपर्ट कमेटी की अध्यक्ष रही थीं . वर्तमान में ये ICRIER के शहरीकरण पर किए जा रहे शोध कार्यक्रमों का नेतृत्व करती हैं.
श्रीमती अहलूवालिया ने प्रेसीडेंसी कॉलेज कोलकाता विश्वविद्यालय से बीए किया, दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में एमए किया और मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (MIT) से अर्थशास्त्र में पीएच-डी किया उनका शोध भारत भारत में औद्योगिक विकास, मैक्रो-आर्थिक सुधार और शहरी क्षेत्रों के विकास पर केंद्रित रहा हैं. सं २००९ में शिक्षा और साहित्य में उनके योगदान के लिए उन्हें पदमभूषण से अलंकृत किया गया.
उनका विवाह प्रसिद्द अर्थशास्त्री और योजना के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया से हुआ. वे दिल्ली में रहती हैं.

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