About the Book
भारत के महान महाकाव्य महाभारत की इस पुनः प्रस्तुति में, जिसे मूलतः जय के नाम से भी जाना जाता था, देवदत्त पट्टनायक ने संस्कृत के अति उत्कृष्ट ग्रन्थ के साथ कई लोक कथाओं और क्षेत्रीय रूपांतरों को मिलाकर एक बेजोड़ कथानक पिरोया है. इसमें छत्तीसगढ़ की पंडवानी, महाराष्ट्र की गोंधल, तमिलनाडु की तेरुकुट्टु और कर्नाटक की यक्षगान शैलियाँ शामिल है.
लेखक द्वारा निर्मित 250 से अधिक रेखाचित्रों से सुसज्जित अध्यायों में से सौ कौरवों के नाम, तमिलनाडु में द्रौपदी की देवी के रूप में पूजा,
अस्तीक, माधवी, जैमिनी, इरावान और बर्बरीक की कहानियां, शाकुंतलम तथा रामायण महाभारत संस्करण, और खगोलशास्त्रीय आकड़ों पर आधारित युद्ध के काल जैसे अल्प ज्ञात विवरणों को सम्मोहित किया गया है.
इस मनमोहक ग्रन्थ में शामिल कथाएं स्पष्टता और सहजता के साथ महाभारत की शाश्वत प्रासंगिकता, मानवीय स्थिति पर इसके जटिल और विचलित कर देने वाले चिंतन का खुलासा करती हैं जो भारतीय विचारधारा को 3000 से भी अधिक वर्षों से आकार दे रही है.
महाभारत एक ऐसा प्राचीन हिन्दू महाकाव्य है जिसमें :
पुत्र ब्रह्मचर्य व्रत लेता है ताकि उसके बूढ़े पिता पुनर्विवाह कर सकें
धनुर्विद्या की प्रतियोगिता में बतौर इनाम पुत्री को रखा जाता है
एक गुरु दक्षिणा के रूप में आधा राज्य मांगते हैं
एक छात्र को उसकी जाति के कारण नकार दिया जाता है
एक मां एक स्त्री को अपने बेटों की पत्नी के रूप मशीन साझा होने को कहती है
एक पिता अपने दामाद को बूढ़ा और नपुंसक होने का श्राप देता है
एक पति किसी दूसरे व्यक्ति को अपनी पत्नी का गर्भधारण करने के लिए कहता है
नया नगर बसने के लिए एक जंगल नष्ट कर दिया जाता है
विरासत को लेकर एक परिवार बंट जाता है
एक राजा जुए में अपना राज्य हार जाता है
एक रानी को दासी के रूप में सेवा करने को कहा जाता है
एक व्यक्ति को एक वर्ष के लिए अपने पुरुषत्व को त्यागना पड़ता है
एक महिला को सार्वजानिक तौर पर निर्वस्त्र किया जाता है
एक ऐसा युद्ध लड़ा जाता जिसमें सभी नियम तोड़े जाते हैं
लिंग में बदलाव से विजय हासिल होती है
जो परास्त हैं वे स्वर्ग जाते हैं
विजेता अपने बच्चों को गंवा देते हैं
धरती खून से नहा जाती है
भगवान् को श्राप मिलता है