About the Book
अंजुम रहबर ने गीत ग़ज़लों के साहित्यिक एवं मूल्यात्मक क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बना ली है I उनकी रचनाओं में जहां वैयक्तिक अनुभूतियों की मिठास, कड़वाहट और रोज़मर्रा की ज़िन्दगी का रसपूर्ण मिश्रण है, वहीं आज के सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनितिक विकृतियों और विद्रूपताओं की भी मार्मिक अभिव्यक्ति है I
उनके गीत और ग़ज़लें यद्यपि परंपरागत रूप से भी संयुक्त हैं तथापि वे नवगीत और आधुनिक ग़ज़ल की समस्त विशेषताओं को भी अपने आप मैं सिजोये हुए हैं I भावानुरूप भाषा और नए बिम्बों की मनोहारी छवि उनकी रचनाओं को जन-जन का कण्ठहार बनाती है I
प्रस्तुत संग्रह की रचनाएं जीवन और जगत के अनेक रूपों और रंगों का मणि दर्पण हैं I निश्चित ही जो भी पाठक इन रचनाओं में झांकेगा उसे अवश्य ही अपना और अपने समाज का कोई-न-कोई रूप अवश्य दिखाई देगा I
अंजुम रहबर ने गीत-ग़ज़लों के साहित्यिक एवं मूल्यात्मक क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बना ली है I प्रस्तुत संग्रह की रचनाएं जीवन और जगत के अनेक रूपों और रंगों का मणि दर्पण हैं I
- गोपालदास 'नीरज'
अंजुम रहबर की ग़ज़ल की पहली पहचान यह है कि वो मोहब्बत की ग़ज़ल है I हमारे अहद की शयरात की शायरी की तारीख़ इस किताब के ज़िक्र के बग़ैर नामुकम्मल रहेगी I
- डॉ. बशीर बद्र
अंजुम रहबर उम्र के उस हिस्से से निकल आई हैं जहाँ संजीदगी पर हंसी आती है I जज़्बात की पाकीज़ा तर्जुमानी लहज़े का ठहराव और अश्कों की रौशनाई से ग़ज़ल के हाथ पीले करने के हुनर ने उन्हें सल्तनत-ए-शायरी की ग़ज़लज़ादी बना दिया है I
- मुनव्वर राना