Mook- Swar ( Hindi)

Mook- Swar ( Hindi)

Author : Vijay Sharma

In stock
Rs. 95.00
Classification Poetry
Pub Date 2012
Imprint Manjul Publishing House
Page Extent 94
Binding Paperback
Language Hindi
ISBN 9788183222778
In stock
Rs. 95.00
(inclusive all taxes)
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About the Book

मूक-स्वर

कविताओं में वो मोहक शक्ति होती है जो ह्रदय को छू लेती है. वः धरकन को बंद होने से और मनुष्य को यंत्र बनने से बचाती हैं. वह पाठक की संवेदन शक्तियों को समृद्ध करती हैं, चेतना को जागृत करती हैं और बौद्धिक सामर्थ्य को झंकृत करती हैं, चेतना को जगती हैं और बौद्धिक सामर्थ्य को झंकृत करती हैं. मनुष्य का संरक्षण और संवर्धन जितना कविता से होता है, उतना और किसी शक्ति से नहीं होता कविता ही मनुष्य की सर्वोत्तम अभिव्यक्ति है और मनुष्य कविता की सर्वोत्तम उपलब्धि.
जिस समाज में कवी रहता है, उसी का ताना बाना वह अपनी कविताओं में बुनता है. उसको घेरी हुई परिस्तिथियों से दो-चार होते रहने के बावज़ूद देश का नागरिक आस्था और विश्वास बनाए हुए है. इस कविता-संग्रह में भी विजय शर्मा के समाज और उससे जूझ रहे नागरिक की संवेदना की अभिव्यक्ति है.

About the Author(s)

विजय शर्मा का जन्म 1952 में बिहार में पटना के एक गांव में हुआ. पटना विश्वविद्यालय से आपने इतिहास से सनात्कोत्तर की डिग्री हासिल की. 1976 में आपने भारतीय राजस्व सेवा में पदार्पण किया और वर्त्तमान में आप मुख्या आयकर आयुक्त के पद पर पटना में पदस्थापित हैं. पढाई के समय से ही आपकी रूचि कविता में रही है. आपका पहला कविता संग्रह 'संकेत चिन्ह' १९९५ में पटना से प्रकाशित हुआ. आपकी रचनाएँ हिंदी और अंग्रेजी की विभिन्न पत्रिकाओं और अख़बारों में प्रकाशित होती रहती हैं. आपकी रचनाएँ मुख्यतः प्रकृति, पर्यावरण और व्यक्तिगत चरित्रों पर आधारित हैं. मूक-स्वर भी वर्त्तमान परिवेश में इसी कड़ी का एक नवीन प्रयोग है.

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