About the Book
आम आदमी पार्टी (आप) और उसके संयोजक अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा के चुनाव में शानदार कामयाबी पाकर राजनीतिक गलियारों में भूचाल ला दिया था I जनता ने उनको समर्थन देकर स्पष्ट सन्देश दिया था कि यदि पारम्परिक राजनीतिक पार्टियां - कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी जन-हितैषी मसलों पर आवश्यक ध्यान नहीं देती हैं तो वह वैकल्पिक राजनीति की पैरोकार पार्टी को चुनने में कतई नहीं हिचकिचाएगी I मुख्या मंत्री केजरीवाल की सरकार ने कुछ महत्वपूर्ण जन-हितैषी कदम उठाए, जिनका जनता ने स्वागत किया I लेकिन धीरे-धीरे आप पार्टी में अंदरूनी खींचतान, सरकार एवं पार्टी-नेताओं पर भ्रष्टाचार के विभिन्न आरोपों और नेताओं के बड़बोले बयानों से जनता का मोहभंग होने लगा I
इस स्थिति में कांग्रेस और भाजपा को दिल्ली में अपना जनाधार बढ़ाने और राजनीतिक रूप से हावी होने का अवसर मिला I लेकिन जब तक इन पार्टियों का स्थानीय नेतृत्व मज़बूत नहीं होगा, तब तक वे आप पार्टी की केजरीवाल सरकार को कठोर चुनौती पेश करने में सक्षम नहीं हो सकतीं I
प्रस्तुत पुस्तक में अरविन्द केजरीवाल, आप पार्टी के राजनीतिक सिद्धांतों, सरकार के महत्वपूर्ण फैसलों और उनसे उठने वाले संवैधानिक सवालों, नैतिक मसलों, विभिन्न विवादों और दिल्ली एवं देश की भावी राजनीति पर पड़ने वाले संभावित प्रभावों का निष्पक्ष ढंग से विश्लेषण किया गया है I साथ ही, भारत में वैकल्पिक राजनीति का समर्थन करने वाली राजनितिक पार्टियों की सीमाओं, चुनौतियों और संभावनाओं पर प्रकाश डाला गया है I