About the Book
मैं, रेशमा...
तेज़ाब हमले की पीड़िता के दर्द की असाधारण कहानी जिसने दुनिया में तहलका मचा दिया
मानवीय साहस की शानदार जीत
-सर रिचर्ड ब्रैनसन
प्रेरणात्मक जरूरी पढ़नी चाहिए
-सचिन तेंदुलकर
दमदार
-शशि थरूर
19 मई 2014 को, जब सत्रह साल की रेशमा कुरैशी परीक्षा केंद्र जाने के लिए घर से निकली तो सब कुछ एक पल में घट गया। वे लोग उसकी और दौड़े। उन्होंने उसे पकड़ा। उसके बाल खींचे। उसके चेहरे पर तेज़ाब दाल दिया और कुछ ही पलों में रेशमा जीवित मुर्दे-सी जलने लगी। तेज़ाब ने पहले उसकी चमड़ी जलाई और फिर हड्डियों को गलने लगा, लेकिन वह रेशमा दिल में लगी आग को नहीं बुझा पाया।
रेशमा जल्दी ही दुःख और पीड़ा से उबर गई और उसने न्यू यॉर्क फैशन सप्ताह में हिस्सा लिया। ऐसा करने वाली वह तेज़ाब हमले से पीड़ित पहली लड़की बन गई और इस खबर ने दुनिया-भर में तहलका मचा दिया। वह अब अंतराष्ट्रीय एसिड-विरोधी कार्यकर्ता, व्लॉगर, मॉडल तथा मेक लव नॉट स्कार्स संस्था का प्रमुख चेहरा हैं। रेशमा अपने जैसे एसिड हमले के पीड़ितों के सशक्तिकरण की दिशा में अथक कार्य करती हैं और लाखों लोगों के लिए उम्मीद का प्रकाश-स्तंभ बन चुकी हैं।
प्रेरणादायक और जीवन को प्रबल बनाने वाली यह किताब। मुंबई की छोटी-सी बस्ती से निकली इस युवती की कहानी है, जिसने अन्याय से भरी दुनिया में दुर्गम बाधाओं को पार किया और उसे बदलने की हिम्मत दिखाई।