Aag Main Phool  ( Hindi)

Aag Main Phool ( Hindi)

Author : Kailash Sharma

In stock
Rs. 150.00
Classification Poetry
Pub Date 5 Oct 2016
Imprint Manjul Publishing House
Page Extent 124
Binding Paperback
Language Hindi
ISBN 9788183227605
In stock
Rs. 150.00
(inclusive all taxes)
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About the Book

आग में फूल - कुछ ग़ज़लें गुज़र गया जो गुज़र के रह गया, करता क्या मैं सिर्फ़ देखता रह गया जमाना हर रंग में सामने आया मेरे, हालात पे अपने मुस्करा के रह गया न वफ़ा समझ में आई न जफ़ा हमने जानी, हुआ इश्क़ तो बस होक रह गया इनायत ने उनकी मुझको ऐसा नवाज़ा, वही फिर मेरे मुकद्दर होक रह गया. इस पुस्तक में रचनाकार ने ज़िन्दगी में जो पाया और देखा उसे सीधे-सादे शब्दों में कह दिया है. इस जहाँ में सब तरफ़ आग ही आग दिखाई देती है - जैसे नफ़रत की आग, अहंकार की आग, प्रेम की आग, घृणा की आग, अस्तित्व की आग, धर्म की आग, जाति की आग, चिता की आग... इन सब के बीच में शायर ने मोहब्बत के फूल को खिलाए रखा है. यह संसार की आग में खिले हुए फूल का काव्य है जो प्रेम से, इश्क़ से गुज़र कर परमात्मा तक पहुँचता है. इस पुस्तक में वो भावपूर्ण रचनाएँ हैं जिनमें प्रेम की कसक है, विरह की टीस है, प्रेयसी की सतत याद व एक सरल ह्रदय की चोट खाई तड़प है, जिसे पढ़ कर ऐसा लगता है मानो यह पाठक के मन की ही बात हो. हिंदी भाषा को ऐसे ही सरल साहित्य की अपेक्षा है.

About the Author(s)

कैलाश नारायण शर्मा 'अकेला' का जन्म ग्राम खातोली, कोटा (राजस्थान) में हुआ. उन्होंने बी,एससी. (बायोलॉजी) तथा एम.ए. (अर्थशास्त्र) की शिक्षा प्राप्त की है. वर्ष 1977 में आपने म.प्र. पुलिस ट्रेंनिंग कॉलेज, सागर में प्रशिक्षण प्राप्त किया. विभिन्न पदों पर रहते हुए आप उप-पुलिस अधीक्षक के रूप में सेवानिवृत्त हुए. लेखक को 2014 में कालिदास साहित्य अकादमी, सोयतकलां, आगर मालवा (म.प्र.) द्वारा सारस्वत सम्मान से सम्मानित किया गया. आप फिल्म रइटर्स एसोसिएशन (मुम्बई ) के प्राथमिक सदस्य तथा पूना के ओशो कम्यून से जुड़े ओशो सन्यासी भी हैं.

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