About the Book
मनीष ने जिस तरह एक आम आदमी के मनोविज्ञान को समझते हुए शे’र कहे हैं, वो अद्भुत हैं। वास्तव में उनके शे’र “साहित्य समाज का दर्पण है” को चरितार्थ करते हैं।
-पद्मश्री सुरेंद्र शर्मा
बादल के पास दिमाग़ात्मक दिल है और दिलात्मक दिमाग़, जो सतत रचनात्मक सम्भावनाओं के द्वारों पर खड़ा रहता है। मनीष बादल को अभी बहुत आगे जाना है, मैं हमेशा उनकी अगवानी में खड़ा मिलूंगा।
-पद्मश्री अशोक चक्रधर
मुझे ऐसा महसूस होता है कि मनीष ने अपने शे’रों के माध्यम से बता दिया है कि वो हर एक मुद्दे को दिलो-दिमाग़ से महसूस करके ही शे’र कहते हैं। सहज-सरल तरीके से अपनी बात को कह लेना उनकी ख़ासियत में रच-बस गया है।
-अंजुम रहबर
मुझे पूरा विश्वास है कि मनीष की ये ग़ज़लें बादलों की तरह आकाश में धीमे-धीमे
उड़ते हुए ग़ज़ल चाहने वालों तक पहुंचेंगी। इन ग़ज़लों का स्वागत होगा।
-तेजेन्द्र शर्मा
मनीष बादल की ग़ज़लों की दुनिया बड़ी है। उनके विषयों का वैविध्य है और कथ्य
के अनुरूप शिल्प भी उनके पास है। वह संभावनाओं से भरे रचनाकार हैं।
-प्रो. वशिष्ठ अनूप