Iqbal ( Hindi )

Iqbal ( Hindi )

Author : Muhammad Iqbal; Compiler O.P Sharma

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Rs. 175.00
Classification Poetry
Pub Date 2019
Imprint Manjul
Page Extent 128
Binding Paperback
Language Hindi
ISBN 9789389143560
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About the Book

मशहूर शायर 'मनुव्वर राना' का कहना है कि इक़बाल के जेहन में हमेशा वह हिन्दुस्तान था, जो किसी सरहद में नहीं बँटा था। सर मुहम्मद इक़बाल अविभाजित भारत के प्रसिद्ध कवि, नेता और दार्शनिक थे। उर्दू और फ़ारसी में इनकी शायरी को आधुनिक काल की सर्वश्रेष्ठ शायरी में गिना जाता है। इक़बाल को ग़ज़लों की तरह नज़्में लिखने में बड़ी महारत हासिल थी। उनकी दर्दभरी नज़्में सुनकर लोग रोने लगते थे।

तेरे इश्क़ की इन्तिहा चाहता हूं
मिरी सादगी देख क्या चाहता हूं

सितम हो कि हो वादा-ए-बे-हिजाबी
कोई बात सब्र-आज़मा चाहता हूँ

ये जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों को
कि मैं आप का सामना चाहता हूँ

ज़रा सा तो दिल हूँ मगर शोख़ इतना
वही लन-तरानी सुना चाहता हूँ

कोई दम का मेहमाँ हूँ ऐ अहल-ए-महफ़िल
चराग़-ए-सहर हूँ बुझा चाहता हूँ

भरी बज़्म में राज़ की बात कह दी
बड़ा बे-अदब हूँ सज़ा चाहता हूँ

About the Author(s)

मोहम्मद इक़बाल (जन्म- 9 नवम्बर, 1877, सियालकोट, पंजाब, ब्रिटिश भारत; मृत्यु- 21 अप्रैल, 1938) एक आधुनिक भारतीय प्रसिद्ध मुसलमान कवि थे। इक़बाल ने अपनी अधिकांश रचनाएँ फ़ारसी में की हैं। "सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा" यह मशहूर गीत इक़बाल का ही लिखा हुआ है। इसके अलावा इनकी बेहद मशहूर रचनाओं में "लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी" और "शिक़वा" तथा "जवाबे-ए-शिक़वा" शामिल हैं।इसके अलावा इनकी बेहद मशहूर रचनाओं में "लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी" और "शिक़वा" तथा "जवाबे-ए-शिक़वा" शामिल हैं। इन्हें उर्दू साहित्य का सबसे खास शख्स माना जाता है, हालांकि उर्दू के साथ-साथ ये फारसी और अंग्रेजी भाषा में भी पारंगत थे।

इक़बाल को शायरी का शौक़ स्कूली जीवन में ही हो गया था और वह अपनी रचनाएं उस समय के नामी शाइर उस्ताद 'दाग़' के पास संशोधन के लिए भेजा करते थे।

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