Taveez ( Hindi)

Taveez ( Hindi)

Author : Manzar Bhopali

In stock
Rs. 250.00
Classification Poetry
Pub Date December 2018
Imprint Manjul Publishing House
Page Extent 224
Binding Paperback
Language Hindi
ISBN 9789388241427
In stock
Rs. 250.00
(inclusive all taxes)
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About the Book

कोई शिकवा कोई किस्सा पुराना ढूँढ लेते हैं हम उन से रोज़ मिलने का बहाना ढूँढ लेते हैं ख़ुशी और ग़म मैं जीने का सलीक़ा जिनको आता है ख़िज़ाँ की रुत में भी मौसम सुहाना ढूँढ लेते हैं दलीलें कितनी ही दीजे वो क़ायल ही नहीं होते सताने के लिए कुछ भी बहाना ढूँढ लेते हैं नज़र से उसकी बच जाओगे ख़ुशफ़हमी में मत रहना ख़ुदा के तीर खिड़ अपना निशाँ ढूँढ लेते हैं 'मंज़र' की हौसलामन्द तबियत चन्द मुशायरों पर अपनी छाप छोड़ के मुत्मईन नहीं हो सकी. वह तो एक सदी पर अपनी छाप छोड़ना चाहते हैं. 'मंज़र' की उलुलअज़मी मैं वही मासूमियत है जो उस बच्चे की हुकुम में पाई जाती है जो चाँद को पकड़ने के लिए मान की गोद में बार-बार मचलता है. मुशायरों के नाम पर आजकल जो मेले लगते हैं उनमें कामयाबी के लिए, 'मंज़र' भोपाली की आवाज़ काफ़ी है. खुशगुलुई के साथ-साथ उनके यहाँ फ़िक्र भी पाई जाती है और अपने माहौल, अपने ज़माने से बाख़बर भी हैं. उन्हें यह हक़ पहुँचता है कि वह बढ़ जाने कि कोशिश करें, अगर वह ऐसा करें तो मेरी दुआएं उनके साथ हैं. -कैफ़ी आज़मी

About the Author(s)

सैयद अली रज़ा (मंज़र भोपाली) का जन्म: 29 दिसंबर 1959 को अमरावती, महाराष्ट्र में हुआ था, वे उर्दू के कवि (शायर) हैं। अपने किशोर वर्षों के दौरान ही मांजर कविता में रुचि लेने लगे और 17 साल की उम्र में उन्होंने अपने पहले मुशायरे में भाग लिया। उन्होंने 3 दशकों के दौरान हिंदी और उर्दू में एक दर्जन से अधिक किताबें लिखी हैं। भारत और विदेश दोनों में मंज़र को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उन्हें लुइसविले, केंटकी में मानद नागरिकता दी गई थी और उन्हें शहर की कुंजी से सम्मानित भी किया गया था। अप्रैल 2018 में, उन्हें उर्दू और हिंदी साहित्य में उनके योगदान के लिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा 'मध्य प्रदेश का गौरव' पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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