About the Book
पत्र-लेखन की परंपरा हमारे देश में बहुत पुरानी है। इसी श्रंखला में धर्म, समाज, विधि एवं पर्यावरण से जुड़े वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी श्री सुरेश जैन ने अपने सुदीर्घ अनुभवों के आधार पर बड़े भैया की पाती शीर्षक से 80 पातियों का संकलन प्रस्तुत किया है। इन पातियों का संशोधित एवं परिवर्द्धित संस्करण आपके हाथों में है। इन पातियों के माध्यम से लेखक ने पत्र लेख की सुदीर्घ एवं यशस्वी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए अपने जीवन का चिंतन सरल और सुबोध शैली में उड़ेल दिया है। एक ओर जहाँ इसमें प्रबंधन के गुरु मंत्र हैं तो दूसरी ओर युवाओं के व्यक्तित्व विकास हेतु महत्त्वपूर्ण मार्गदर्शन भी है।
सुख और शांति पाने के लिए चिंतन, मनन, विश्लेषण और पठन-पाठन के अमृत को इन पातियों में समाहित किया गया है। इन पातियों के माध्यम से जन-जन को प्रेरित करने का पावन प्रयास किया गया है। यह पाती जितनी जीवन से जुड़ेगी, जीवन की उतनी ही सार्थकता सिद्ध होगी। पाठकों के जीवन को सँवारने और दिशा देने में इन पातियों की सार्थक भूमिका होगी और उन्हें अच्छा जीवन जीने की कला की सीख मिलेगी। ज्ञान, सूचना और तकनीक को सुगम और सुलभ कराती हुई तेज़ी से भागती दुनिया में भी व्यक्तित्व विकास के लिए लिखी गई ये पातियाँ पाठक के लिए पठनीय और अनुकरणीय हैं। उनके शैक्षिक, नैतिक, बौद्धिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास के लिए मार्गदर्शक बिन्दु प्रदान किए गए हैं। इस पुस्तक के माध्यम से उन्हें शाश्वत, प्राचीन एवं आधुनिक जीवन मूल्यों की व्यावहारिक जानकारी भी दी गई है।
About the Author(s)
जैन तीर्थ नैनागिरि, जिला छतरपुर, म.प्र. में जन्मे श्री सुरेश जैन (आर्इ.ए.एस) एम.कॉम. और एल.एल.बी. हैं। भारतीय प्रशासनिक सेवा में रहते हुए मध्यप्रदेश सरकार के वरिष्ठ प्रशासनिक पदों पर सुदीर्घ काल तक अपनी सेवाएँ प्रदान कर चुके हैं। विदिशा में कलेक्टर के पद पर रहते हुए वर्ष 1992 में उन्होंने बीजामण्डल मंदिर जिसे, पन्द्रहवीं शताब्दी में तोप से उड़ाकर र्इदगाह बना दिया गया था, के नीचे से 500 से अधिक मूर्तियों का उत्खनन शांति और सफलतापूर्वक कराया है। यह उल्लेखनीय है कि दिल्ली में निर्माणाधीन नए संसद भवन की डिज़ाइन इसी मंदिर की डिज़ाइन के आधार पर बनार्इ गर्इ है। भारतीय संस्कृति के संवर्द्धन के लिए उनके इस साहसिक कार्य की पूरे राष्ट्र के द्वारा सराहना की गर्इ है।
श्री जैन अनेक पुरस्कारों से सम्मानित हैं। ‘जैन रत्न’ और ‘समाज भूषण’ जैसी विभिन्न राष्ट्रीय उपाधियों से विभूषित हैं। सेवानिवृत्ति के पश्चात भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय में मध्यप्रदेश राज्य विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति के अध्यक्ष के पद पर 6 वर्ष तक पदासीन रहे हैं। सरकार के विभिन्न विभागों की विधि संहिताओं के साथ-साथ आप बड़े भार्इ की पाती के यशस्वी लेखक एवं भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा 2018 में प्रकाशित छंदोदय और 2020 में प्रकाशित बाबा दौलतराम वर्णी की 16 रचनाएँ के प्रबंध संपादक हैं। आपने अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर के अनेक सेमिनारों और र्इ-संगोष्ठियों में सहभागिता की है। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेकर शोध-पत्रों का वाचन किया है। आपके 100 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। व्यक्तित्व विकास एवं ज्वलंत सामाजिक संदर्भों पर शताधिक लेख और निबंध प्रकाशित हो चुके हैं।
विभिन्न धार्मिक स्थलों और संस्थाओं के संरक्षण एवं विकास में आपने अत्यधिक सराहनीय सहयोग प्रदान किया है। वे अखिल भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी, मुम्बर्इ के पाँच वर्ष तक मंत्री रहे हैं। दिगंबर जैन सिद्धक्षेत्र नैनागिरि के अध्यक्ष एवं आचार्य विद्यासागर प्रबंध विज्ञान संस्थान, भोपाल के संस्थापक हैं। उन्होंने संस्थापक और प्रबंध संचालक के रूप में इस संस्थान का 25 वर्षों तक सफल संचालन किया है। नैनागिरि और तिन्सी में स्थित जैन विद्यालयों के वे संस्थापक हैं। उन्होंने अखिल भारतवर्षीय प्रशासकीय प्रशिक्षण संस्थान, जबलपुर, जीतो, मुम्बर्इ और कामयाब, दिल्ली के संस्थापन में आधारभूत एवं सक्रिय भूमिका का निर्वाह किया है। संघ लोक सेवा आयोग आदि की प्रतियोगिता परीक्षा देने वाले छात्रों को सतत मार्गदर्शन दे रहे हैं।