Vyaktitva Vikas aur Bhagwad Geeta (Hindi)

Vyaktitva Vikas aur Bhagwad Geeta (Hindi)

Author : Dr. Sureshchandra Sharma

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Rs. 150.00
Classification Selp Help
Pub Date November 2016
Imprint Manjul Publishing House
Page Extent 142
Binding Paper Back
Language Hindi
ISBN 9788183227629
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About the Book

व्यक्तित्व विकास और भगवद्गीता
गीता का प्रारंभ अर्जुन की विषादग्रस्त मनःस्थिति से होता है. संसार में यह परिस्थिति कभी-न-कभी हम सभी पर लागू होती है I गीता इस संकट को अवसर में बदलने का मार्ग बतलाती है. यह मार्ग पुरुषार्थ से होता हुआ ईश्वर के प्रति 'पूर्ण समर्पण' तक जाता है. पुरुषार्थ करना हमारे हाथ में है, इसके बाद ही ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है. वस्तुतः पुरुषार्थ, ईश्वर की कृपा प्राप्ति के लिए आधार तैयार करता है.

सामान्यतः धार्मिक लोग आतंरिक विकास की बात करते हैं और हमारे वर्तमान शिक्षा संसथान और प्रबंधन गुरु बाह्र्य व्यक्तित्व विकास पर ज़ोर देते हैं. गीता का आत्मिक विकास इन दोनों को समाहित करता हुआ मानव के पूर्ण विकास का मार्ग बताता है. वर्तमान सन्दर्भों में चर्चित व्यक्तित्व विकास इसका चोट-सा परंतु अनिवार्य परिणाम है.

हमारे कार्य प्रेरणा, श्रद्धा, बुद्धि और धृतिसे संपादित होते हैं जो आतंरिक गुण हैं परंतु कार्य करने का यन्त्र शरीर है जो बाह्र्य साधन है. इन आतंरिक और बाह्र्य साधनों में से न तो किसी की उपेक्षा की जा सकती है और न ही किसी को एकांगी महत्व ही दिया जा सकता है. गीता का आत्मिक विकास इन दोनों पक्षों पर समान बल देता है.

About the Author(s)

सुरेशचंद्र शर्मा प्रमुख वैज्ञानिक और मृदा विज्ञान विभागाध्यक्ष पद से सेवानिवृत हैं.
वर्तमान में रामकृष्ण आश्रम के समन्वयक तथा श्री अरविन्द सोसाइटी -इंस्टिट्यूट ऑफ़ कल्चर के प्रमुख मार्गदर्शक के रूप में अनेक सृजनात्मक कार्यों में व्यस्त हैं.

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