Shambhunath Ka Tilism ( Hindi)

Shambhunath Ka Tilism ( Hindi)

Author : R. K Paliwal

In stock
Rs. 195.00
Classification Fiction
Pub Date 10 October 2017
Imprint Manjul Publishing House
Page Extent 172
Binding Paperback
Language Hindi
ISBN 9788183226714
In stock
Rs. 195.00
(inclusive all taxes)
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About the Book

समाज में आए दिन बहुत कुछ घटित होता है I एक लेखक का संवेदनशील ह्रदय कैसे उन घटनाओं को अपनी कल्पनाशक्ति से तराशकर पठनीय और सार्थक कहानियों का रूप देता है, यह इस कथा संकलन की विशेषता है I प्रत्येक कहानी एक दूसरे से अलग और अनूठी है I
इन कहानियों में लेखक ने सरकारी महकमे में व्यास भ्रष्टाचार को उजागर किया है, नौकरशाही की विद्रूपताओं को उकेरा है, ग़रीबी से जूझने का जज़्बा दिखाया है, आधुनिक युवा दिलों में पनपने वाली मोहब्बत और नफ़रत को बख़ूबी बयां किया है, वृद्धों की उपेक्षा का मार्मिक चित्रण किया है, कुदरत के नज़ारों का मनोहारी खाका खींचा है, शिक्षा के महत्व को रेखांकित किया है, धन की लिप्सा और उसके उपयोग पर सार्थक बहस छेड़ने की कोशिश की है, साथ ही नशे और वासना के जाल में फँसकर होने वाले अनैतिक कृत्यों का बेबाकी के साथ खुलासा किया है तथा समाज में प्रचलित अंधविश्वासों पर भी चोट की है I
इस संग्रह की कहानियाँ ज़िन्दगी के खुरदरे यथार्थ और कल्पनाशीलता की उड़ान के इर्द-गिर्द घूमती हैं I ये आपके दिल को स्पर्श करती हैं, कहीं हंसाती-गुदगुदाती हैं, मानवीय संवेदना व करुणा से औतप्रोत कर देती हैं और अंत में आपको ऐसे मोड़ पर छोड़ देती हैं, जहाँ आप गंभीरता से सोचने को विवश हो जाते हैं ...

About the Author(s)

प्रधान आयकर के रूप में भोपाल में पदस्थ आर. के पालीवाल लेखनकला में भी सिद्धहस्थ हैं I उनका जन्म 1961 में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले के ग्राम बरला में हुआ और प्रारंभिक शिक्षा गाँव में हे हुई I डी. ए. वी. स्नातकोत्तर विद्यालय, मुज़फ़्फ़रनगर से बी.एससी. (वनस्पति विज्ञान) की पढ़ाई करने के बाद मेरठ विश्विद्यालय से एम.फिल. और पी.एच.डी. (वनस्पति विज्ञान) की उपाधियाँ हासिल कीं I ए.डी. कॉलेज, रिवाड़ी (हरियाणा) में लेक्चरर रहने के बाद आप कुछ समय भारतीय वन सेवा में रहे I 1986 से भारतीय राजस्व सेवा (आयकर) से जुड़कर विभिन्न दायित्वों का निर्वाह कर रहे हैं I सृजनात्मक लेखन में विशेष रुचि रखनेवाले पालीवाल अपनी कृतियों से हिंदी को समृद्ध बनाने में पिछले तीन दशक से योगदान दे रहे हैं तथा आपकी कृतियों को विभिन्न पुरुस्कारों से नवाज़ा जा चूका है I

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