About the Book
‘हम अपने कार्यों से जीवन को सार्थकता देते हैं, और साथ ही प्रेम के ज़रिए व अंतत: पीड़ा से गुज़रकर भी’यह पुस्तक बड़ी कठिनाइयों का सामना होने के बावजूद ज़िंदगी को गले लगाने का मार्ग प्रशस्त करती है।
ऑश्वित्ज़ से अपनी रिहाई के कुछ महीनों बाद मशहूर मनोचिकित्सक विक्टर फ्रैंकल ने अपनी वार्ताओं की उल्लेखनीय श्रंखला प्रस्तुत की। इनमें सार्थकता, लचीलेपन और हर संकट में एक मौक़ा छिपा होने से जुड़े उनके मूलभूत विचारों को साझा किया गया है।
यातना शिविर में रोंगटे खड़े कर देने वाली दहशत के बावजूद फ्रैंकल ने अपने बंदी साथियों से जाना कि ‘ज़िंदगी को स्वीकार करने’ की संभावना हमेशा रहती है।