About the Book
हिन्दवी स्वराज्य के ये दुर्ग सामान्य नहीं हैं।
ये राजसी वैभव के प्रतीक तो कतई नहीं हैं। श्री शिव छत्रपति महाराज के ये किले स्वराज्य के प्रतीक हैं । भारतवर्ष जब विदेशी आक्रांताओं के अत्याचारों एवं दासता के अंधकार से घिरता जा रहा था, तब इन दुर्गों से स्वराज्य का संदेश देनेवाली मशाल जल उठी थी । इन दुर्गों के बुलंद बुर्ज पर खड़े होकर जब शिवाजी महाराज सिंहगर्जना करते होंगे और अपनी तलवार 'भवानी' को लहराते होंगे, तब सह्याद्री के ऊपर फैले विशाल आकाश में एक बिजली-सी कौंधती होगी, जो मराठों के मन में आत्मविश्वास और साहस का संचार करती होगी। हिन्दवी स्वराज्य में दुर्ग केंद्रीय तत्व हैं। इसलिए हिन्दवी साम्राज्य के संस्थापक एवं स्वराज्य के उद्घोषक श्री शिव छत्रपति महाराज के व्यक्तित्व को समझना हो या फिर स्वराज्य की संकल्पना को, इन दुर्गों से संवाद करना आवश्यक है।
About the Author(s)
लेखक लोकेन्द्र सिंह का जन्म मकर संक्रांति के पावन पर्व पर एकादशी शुक्ल पौष, विक्रम संवत् 2040 तद्नुसार दिनांक 14 जनवरी, 1984 को ग्वालियर, मध्यप्रदेश में हुआ। आपने लंबे समय तक स्वदेश, दैनिक भास्कर, पत्रिका और नवदुनिया में पत्रकारिता की। देशभर के समाचारपत्र-पत्रिकाओं में नियमित तौर पर समसामयिक आलेख, यात्रा वृतांत, कहानी, कविताएं प्रकाशित एवं शोध पत्रिकाओं में शोधपत्रों का प्रकाशन। आप डॉक्यूमेंट्री फिल्म के निर्माण में भी सक्रिय हैं। मध्यप्रदेश के अनुसूचित जनजाति बाहुल्य गाँव बाचा पर बनायी गई फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त है। लोकेन्द्र सिंह देश के चर्चित ब्लॉगर हैं। ब्लॉगिंग/सोशल मीडिया/इंटरनेट पर लेखन के लिए साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश ने आपको अखिल भारतीय 'नारद मुनि' पुरस्कार से सम्मानित किया है। भाऊराव देवरस सेवा न्यास, लखनऊ की ओर से आपको पं. प्रताप नारायण मिश्र युवा साहित्यकार सम्मान-2023 भी दिया जा चुका है। अब तक आपकी 14 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। वर्तमान में लोकेन्द्र सिंह माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक हैं।