About the Book
श्री सुरेश पटवा एक जाने-माने रचनाकर्मी हैं। एक लंबे समय से गंभीर विषयों पर उनका लेखन सतत चलता रहा है। मैंने उन्हें जब-जब पढ़ा है और सुना है उनकी विद्वत्ता शब्द-शब्द में अनुभव करता रहा। वह अच्छे लेखक होने के साथ श्रेष्ठ चिंतक, विचारक और वक्ता भी हैं। मनुष्य के यह सब गुण यदि लेखक के व्यक्तित्व में उतर आए तो स्वाभाविक रूप से लेखन उच्चकोटि का होता चला जाता है। पटवा जी ने अब तक जो कुछ लिखा वह अत्यंत गंभीर प्रकार का लेखन रहा।
वे राष्ट्रीय चेतना से ओतप्रोत और संस्कृति निष्ठ लेखक हैं। भारत की मिट्टी की गंध उनकी धमनियों में लहू बनकर दौड़ती है। यह सांस्कृतिक निष्ठा समय-समय पर अनेक ग्रंथों के प्रणयन का कारण बनी। इस बार उन्होंने बाल-साहित्य जगत को अपनी लेखनी का प्रसाद दिया है।
जंगल की सैर जैसे बाल उपन्यास बच्चों को जल, जंगल, जमीन और जानवर से जोड़ने का काम करेंगे। इनके बगैर पर्यावरण की कल्पना करना भी दूभर होगा। इस तरह के उपन्यास निश्चित तौर पर नई पौध को प्रकृति के निकट लाने का काम करेंगे।
-डॉ. विकास दवे
निदेशक, साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश शासन, भोपाल
जंगल की सैर (सतपुड़ा के मुन्ना बाघ की दास्तान) उपन्यास शैली में लिखी गई अद्भुत पुस्तक है। सभी बच्चों को जंगल, पहाड़, नदी, पक्षी, जीव-जंतु और जानवर देखना मोहक लगता है। श्री सुरेश पटवा ने सतपुड़ा भ्रमण करके सुरम्य सतपुड़ा पुस्तक भी लिखी है। उन्ही सतपुड़ा के जंगलों की सैर करके वे एक नए कथानक के साथ उपस्थित हो रहे हैं।
ऐसे विषय पर रोचक व जिज्ञासापूर्ण बच्चों की कल्पनाशीलता को पंख लगाती कृति बच्चों में लोकप्रिय होने की योग्यता रखती है। मेरा विश्वास है कि श्री पटवा की यह अभिनव कृति मन से पढ़ी जायेगी।
-महेश सक्सेना
अध्यक्ष, बाल साहित्य शोध केंद्र, भोपाल।