About the Book
हिंदुस्तान की आज़ादी के साथ एक राजस्थानी सिख बच्चे का सफ़र शुरू होता है। उसकी साँसों से सरगम फूटती है। उसके शबद और कीर्तन, सुनने वालों को रूहानियत से भरे अलग लोक में ले जाते। जब वह पक्की रागदारी में गुरबानी का संदेश श्रद्धालुओं तक पहुँचाता, तो वे बालक जगमोहन के चेहरे पर एक तेज देखते। उसके पिता के
गुरूजी ने कहा, “यह जग को जीतेगा।”
यही बालक सरदार जगमोहन नौजवान हुआ तो अपने सुरों को शक्ल देने के लिए एक दिन ख़ामोशी से घर और पढ़ाई छोड़कर मायानगरी मुंबई चला गया। अपने संकल्प, समर्पण और संगीत साधना के बल पर देखते ही देखते ग़ज़ल सम्राट बन बैठा। आज दुनिया भर में उसके करोड़ों दीवाने हैं। हम सब उसे जगजीत सिंह के नाम से जानते हैं। उसने ग़ज़ल को महफ़िलों से निकालकर घर-घर पहुँचा दिया। ज़िंदगी बार-बार उसे तोड़ती रही, इम्तिहान लेती रही और जगजीत उससे जूझते रहे। अपनी क़िस्मत की रेखाएँ
ख़ुद रचने वाले कितने लोग होते हैं?
पढ़िए हम सबके लाड़ले जगजीत की ज़िंदगी के सफ़र की वो समूची दास्तान, जिसे शायद ही कोई जानता हो। हिंदी में पहली बार प्रस्तुत है इस बेजोड़ कलाकार की जीवन गाथा। वो घटनाएँ, जो आप पहली बार जानेंगे। वो क़िस्से, जो अब तक सामने नहीं आए। वो प्रसंग, जो स्वयं जगजीत सिंह ने सुनाए। परिवार के सदस्यों, दोस्तों, सहयोगी कलाकारों और उनसे जुड़े अनगिनत शुभचिंतकों की ज़बानी, जगजीत सिंह की कहानी - वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और बायोपिक फ़िल्म निर्माता-निर्देशक राजेश बादल की कलम से।
About the Author(s)
राजेश बादल की पहचान के कर्इ सूत्र हैं। पत्रकार, लेखक, संपादक, चिंतक, विचारक और फ़िल्म निर्माण; ये सब सूत्र उनसे जुड़ते हैं।
पैंतालीस बरस पहले दैनिक जागरण से शुरू हुआ उनका सफ़र यूएनआर्इ, पीटीआर्इ, नर्इ दुनिया, नवभारत टाइम्स और रविवार जैसे समाचार-पत्र, पत्रिकाओं के माध्यम से आगे बढ़ा। रेडियो व टेलिविज़न के जरिए पहचान व्यापक हुर्इ। और आज फ़िल्म निर्माण तथा डिज़िटल माध्यम के नए अवतारों के साथ कलात्मक गतिविधियाँ अनवरत जारी हैं।
भारतीय टेलिविज़न पत्रकारिता की पहली पीढ़ी के पत्रकारों में से एक। पहले स्वदेशी चैनल आज तक में बतौर संपादक। उत्तर भारत की पहली ख़बरिया टीवी एजेंसी टेली न्यूज़ के प्रधान संपादक, बीएजी फ़िल्म्स के कार्यकारी संपादक, सीएनर्इबी के प्रधान संपादक, इंडिया न्यूज़ के न्यूज़ डायरेक्टर, वॉइस ऑफ़ इंडिया के प्रबंध संपादक और एसोसिएट समूह संपादक। राज्यसभा टीवी के संस्थापक संपादक और कार्यकारी निदेशक। भारत की पहली साप्ताहिक टीवी समाचार पत्रिका परख़ के विशेष संवाददाता, निजी क्षेत्र के पहले दैनिक न्यूज़ बुलेटिन न्यूज़ वेब के विशेष संवाददाता, भारत के पहले टेलिविज़न ट्रैवलॉग में अरुणाचल से कन्याकुमारी तक का सफ़र। राज्यपालों पर केंद्रित पहले समाचार धारावाहिक महामहिम राज्यपाल के एंकर-निदेशक। 1977 से लगातार विधानसभाओं, लोकसभा चुनावों का कवरेज़। रेडियो-दूरदर्शन पर क़रीब पंद्रह बरस समाचार प्रस्तोता और सम-सामयिक कार्यक्रमों के प्रस्तुतकर्ता। अनगिनत वृत्तचित्र और हज़ारों टीवी रिपोर्ट्स। लोकप्रिय टीवी श्रंखला उनकी नज़र, उनका शहर और विरासत के तहत पचास से अधिक विभूतियों पर बायोपिक निर्माण। वॉइस ऑफ़ अमेरिका के लिए सुनामी का ख़ास कवरेज। अमेरिकी सरकार के आमंत्रण पर लंबे समय तक वहाँ मीडिया अध्ययन और अनेक शहरों-संस्थानों में व्याख्यान। आकाशवाणी के एफ़एम गोल्ड चैनल के कर्इ धारावाहिकों में भागीदारी।
मीडिया शिक्षा के क्षेत्र में पैंतीस साल से सक्रिय। दो दर्ज़न से अधिक विश्वविद्यालयों में अतिथि व्याख्यान, अनेक विश्वविद्यालयों में बोर्ड ऑफ़ स्टडीज़, पाठ्यक्रम निर्धारण समिति, परीक्षा प्रश्न-पत्र परीक्षक और मूल्यांकन कर्ता। विज्ञान पत्रकारिता के क्षेत्र में अनेक लघु फ़िल्मों का निर्माण। सीएसआर्इआर के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में भागीदारी। भोपाल गैस त्रासदी, सुनामी, कश्मीर में भूकंप और नेपाल में भूकंप का वैज्ञानिक कवरेज। आदिवासी संस्कृति पर शोध और अनेक लघु फ़िल्मों का निर्माण। गाँधी दर्शन-चिंतन पर लगातार लेखन। हिंदुस्तान का सफ़र तथा शब्द सितारे पुस्तकों के लेखक। अनेक पुस्तकों में सह-लेखक, अंतरराष्ट्रीय महात्मा गाँधी सम्मान, राष्ट्रीय राजेंद्र माथुर सम्मान, माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता पुरस्कार समेत अनेक सम्मान उन्हें प्राप्त हो चुके हैं।
संप्रति : समाचार-पत्र, पत्रिकाओं, न्यूज़ पोर्टल्स के लिए लेखन। मीडिया पर केंद्रित लोकप्रिय स्तंभ मिस्टर मीडिया के लेखक। टीवी चैनलों और अनेक ऑन लाइन वेब चैनलों में भागीदारी।
वर्तमान में नर्इ दिल्ली में निवास, लेकिन भोपाल से जुड़ाव के चलते महीनों सुकून के पल यहाँ गुज़ारते हैं।