About the Book
इन कविताओं को पढ़ें तो ऐसा महसूस होता है कि वो पल की कविता है, जिसे मनीष एहसास बना कर प्रस्तुत कर रहे हैं। उनके अंदर का जो एकालाप और संवाद है, वो कभी पूरा न हो और इसी तरह वह हु सभी तक पहुँचता रहे।
- डॉ। कुमार विश्वास
जब अनुभव बात करता है, जब जिज्ञासा शब्द रूप लेती है, जब दर्द आईना देखता है और जब जिंदगी मुस्कुराकर हर चुनौती को स्वीकार करती है तब सिलसिला शुरू होता है मन की उलझनों का और ये उलझनें जब कविमन की हथेलियों पे रख सहलाई जाती हैं, तब बनती हैं ''कुछ अधूरी बातें मन की...'
About the Author(s)
मनीष मूंदड़ा का 2015 में 'आँखों देखी' से शुरू हुआ फ़िल्मी दुनिया का सफ़र आज एक मुकाम हासिल कर चुका है। उनकी चार फिल्में मसान, धनक, कड़वी हवा और न्यूटन नैशनल अवॉर्ड के लिए चुनी जा चुकी हैं। स्कूली शिक्षा देवघर ( झारखण्ड) से शुरू करने के बाद कॉलेज की पढाई जोधपुर (राजस्थान) में पूरी की। वर्त्तमान में नाइजीरिया (अफ़्रीका) में इंडोरामा फ़र्टिलाइज़र में एमडी/सीइओ के पद पर कार्यरत हैं । मनीष ने बहुत ही काम समय में बतौर फ़िल्म प्रोडूसर (निर्माता) अपने आपको स्थापित किया और 'दृश्यम फिल्म्स' की स्थापना की। कला के प्रति रुझान तथा, पेंटिंग और कवितायें लिखने में गहरी दिलचस्पी होने के कारण अक्सर अपने खली समय में इस शौक को पूरा करते हैं.