About the Book
निकट भविष्य में, एक आधुनिक शहर में पवित्रता के लिए जुनून इतना बढ़ता है कि समुदायों को आपस में बांटने और उन्हें सीमाओं में रखने के लिए बड़ी-बड़ी दीवारें बना दी जाती हैं। दीवारों से परे उच्च नागरिक व्यवस्था लागू होती है। इनके बीच कहीं भूली हुई जगहों पर, जहाँ कचरे के जमा ढेरों पर रोग पनपते हैं, वहीं शालिनी को अपनी बेटी लैला को तलाशना है जिसे उसने सोलह साल पहले, गर्मियों की एक रात को खो दिया था। चारों ओर फैले निरीक्षण तंत्र और मुजरिमों के बीच, शालिनी, जो पहले कभी संपन्न थी और एक निरंकुश अतीत जी चुकी है; उसे अब अयोग्य होने की वजह से हाशिए पर धकेल दिया गया है - वह केवल अपनी खोज के लिए जी रही है। इसके बाद जो सामने आता है, वह एक तड़प, विश्वास और सबसे बढ़कर सब कुछ खो देने की कहानी है। सामाजिक स्तर, सुविधा तथा हमारे सामने आने वाले विकल्पों पर निर्भीक नज़र रखते हुए - संसार के आश्चर्यजनक और भविष्यदर्शी नज़रिए के साथ - लैला प्रयाग अकबर को भारतीय लेखन-जगत में एक उत्कृष्ट लेखक के रूप में प्रस्तुत करती है।