Mathura Ish

Mathura Ish

Author : Sanjay Tripathi

In stock
Rs. 250.00
Classification Mythology/ Fiction
Pub Date March 2017
Imprint Manjul
Page Extent 350
Binding Paperback
Language Hindi
ISBN 9788183228008
In stock
Rs. 250.00
(inclusive all taxes)
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About the Book

मथुरा ईश
सिकन्दर के आने के सैकड़ों वर्ष पूर्व यवनों ने भारत के पश्चिम भाग सौराष्ट्र में अपना व्यापार फैलाया, अपनी बस्तियां बसायीं और भारत के भीतर अपनी सत्ता स्थापित करने के प्रयास किये. काल यवन का वध कर कृष्ण ने न केवल विदेशियों के बढ़ते प्रभाव को रोका, अपितु अनेक यवनों को आर्यों में सम्मिलित कराया. वैदिक रीतियों पर आधारित धर्म को पुरोहितों ने अत्यधिक खर्चीला और समय साध्य बना दिया. धर्म की जटिल प्रक्रियाओं से ऊब चुके जान मानस को कृष्ण ने उपनिषद के आधार पर ज्ञान, कर्म एवं भक्ति के मिश्रण से सरल, सहज उपासना विधि दी. कृष्ण का यह सिद्धान्त चहुँ ओर लोकप्रिय हुआ और लोगों ने उन्हें ही ईश मान लिया. कृष्ण का दिया दर्शन संख्या बल में कम पांडवों को विजयी बना गया.
लोग कृष्ण को ईश्वर मानते रहे और ईश्वर सदृश्य बनने हेतु स्वयं को परिष्कृत करते गये. घोर आंगरिस ऋषि ने उनके लिए कि तू 'अक्षित अक्षय' है, 'अच्युत अविनाशी' है और उन्होनें कुरुक्षेत्र में हुंकार भरी कि 'मेरा न आदि है, न अंत है,' 'मैं थल में हूँ, में जल में हूँ.' मुनि नारद जैसे ऋषियों ने 'नारायण नारायण' का जाप कर कृष्ण को विष्णु स्वरुप में स्थापित कर दिया.

About the Author(s)

संजय त्रिपाठी ने इंजीनियरिंग की पढाई के पश्चात् इतिहास विषय लेकर लोक सेवा आयोग की परीक्षा दी. इसी समय इतिहास के प्रति रूचि जागी तथा ईश्वरत्व तक पहुंचे महान नायकों के बारे में और अधिक जानने की जिज्ञासा हुई. जैसे-जैसे उनके बारे में जानकारियाँ मिलती गयीं, वैसे-वैसे उनके बारे में पढ़ने की ललक बढ़ती गयी. आर्यों एवं द्रविड़ों की सभ्यता तथा राम द्वारा किए गए संस्कृति व् धर्म निर्माण के कार्यों की जानकारी देती मेरा राम मेरा देश लेखक के रूप में आपकी पहली कृति है. आप वर्तमान में लोक सेवक के रूप में मध्य प्रदेश में कार्यरत हैं.

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