About the Book
मूक-स्वर
कविताओं में वो मोहक शक्ति होती है जो ह्रदय को छू लेती है. वः धरकन को बंद होने से और मनुष्य को यंत्र बनने से बचाती हैं. वह पाठक की संवेदन शक्तियों को समृद्ध करती हैं, चेतना को जागृत करती हैं और बौद्धिक सामर्थ्य को झंकृत करती हैं, चेतना को जगती हैं और बौद्धिक सामर्थ्य को झंकृत करती हैं. मनुष्य का संरक्षण और संवर्धन जितना कविता से होता है, उतना और किसी शक्ति से नहीं होता कविता ही मनुष्य की सर्वोत्तम अभिव्यक्ति है और मनुष्य कविता की सर्वोत्तम उपलब्धि.
जिस समाज में कवी रहता है, उसी का ताना बाना वह अपनी कविताओं में बुनता है. उसको घेरी हुई परिस्तिथियों से दो-चार होते रहने के बावज़ूद देश का नागरिक आस्था और विश्वास बनाए हुए है. इस कविता-संग्रह में भी विजय शर्मा के समाज और उससे जूझ रहे नागरिक की संवेदना की अभिव्यक्ति है.