About the Book
जब नियति शिवाजी और उनकी मंज़िल के बीच आ कड़ी हुई
भारतीय उपमहाद्वीप अंधकार से घिरा था. सत्रहवीं सदी निर्दयी युद्धों, निरंतर शोषण तथा धर्म के नाम पर आध्यात्मिक और शारीरिक प्रतारणा का युग रही. शिवाजी अपने समय से कहीं आगे की सोच रखने वाले योद्धा और विचारक थे. उनके उदय के साथ ही सवप्न ने भी जन्म लिया - मनुष्य के जीवन के लिए सम्मान और मर्यादा का स्वप्न, आर्थिक समानता और सशक्तिकरण का स्वपन. लेकिन नियति ने उनका साथ नहीं दिया, उनके लिए परिस्तिथियाँ प्रतिकूल थीं - उनके पास एक पतन की और बढ़ रही पराजित प्रजा के शिव कुछ न था. उन्हें मुग़ल साम्राज्य की शक्ति और पश्चिमी शक्तियों की नौसैनिक श्रेष्ठता से जूझना था.
शिवाजी नमक पहेली का सारगर्भित किन्तु विस्तृत विवरण. इतिहास प्रेमियों को इसे अवश्य पढ़ना चाहिए.
- अश्विन सांघी, बेस्टसेलिंग लेखक