About the Book
टेलिविजन पत्रकारिता, जिसमें कैमरा, माइक, विज़ुअल, बाईट और पीटीसी को जोड़कर कैमरामैन और ड्राइवर की मदद से स्टोरीज तैयार होती हैं - ऐसी रिपोर्टिंग की चुनौतियाँ आज की तेज़ रफ़्तार ज़िन्दगी में लगातार बड़ी हो रही हैं I बृजेश राजपूत के इन 75 लेखों के संकलन में आप तरह-तरह की घटनाओं को केवल पढ़ ही नहीं रहे, बल्की उस घटना को रिपोर्टर की भांति देख और सुन भी रहे हैं I ऑफ द स्क्रीन, टीवी के पर्दे पर चलने वाली स्टोरी के पीछे घंटों की मारामारी, उसके पीछे के रोमांच और कवरेज की चुनौतियों वाली कहानी है I
About the Author(s)
ब्रजेश राजपूत ने डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर से बी. एससी. करने के बाद एम.ए. की पढ़ाई की. फिर पत्रकारिता की डिग्री लेकर दिल्ली में अख़बारों और टीवी प्रॉडक्शन हॉउस में काम करते हुए और टेलिविज़न पत्रकारिता सीखते हुए आठ साल गुज़ारे. स्टार न्यूज़ की शुरूआती टीम का हिस्सा रहने के बाद अब एबीपी न्यूज़ भोपाल में वरिष्ठ विशेष संवाददाता हैं. टीवी न्यूज़ चैनल्स के कन्टेन्ट अनालिसिस पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल से पीएच.डी. भी कर चुके हैं.
चुनाव रिपोर्टिंग पर अपनी पहली किताब 'चुनाव, राजनीति और रिपोर्टिंग - मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2013 ' के बाद टीवी पर आधारित इस किताब को लिखने का मकसद यही है कि लोग टीवी रिपोर्टिंग के पीछे छिपी दुश्वारियों को समझ सकें.