About the Book
पटना ब्लूज़ कुछ ख़्वाब अधूरे से अब्दुल्ला खान
आरिफ़ पटना के एक सब-इंस्पेक्टर का बेटा है । उसका कभी समृद्ध रह चूका ज़मीन-जायदाद वाला खानदान सामाजिक हैसियत में नीचे चला जाता है। आरिफ़ का एक मात्रा सपना सिविल सेवा परीक्षा में पास होकर एक आईएएस अफ़सर बनना है। उसका मानना है कि ऐसा करके वह अपने परिवार की क़िस्मत बदल देगा। वह पढ़ाई में जब तक एक आकर्षक, लंबे बालों वाली महिला सुमित्रा उसके लिए हर लिहाज़ से ग़लत लगती है। यह दीवानगी की ऐसी शुरुआत है जो उसकी ज़िंदगी को बदलने लगती है।
About the Author(s)
अब्दुल्लाह ख़ान मुंबई में निवासरत उपन्यासकार, पटकथा लेखक, साहित्यक आलोचक और बैंकर हैं। बिहार में मोतिहारी के पास एक गावं में जन्में अब्दुल्लाह की प्रारंभिक शिक्षा मदरसे और उर्दू मीडियम स्कूल में हुई। 1990 के दशक के मध्य में उन्हें पता चला कि जॉर्ज ऑरवेल का जन्म मोतिहारी में हुआ था, और ऑरवेल का अपने गृह नगर से संबंध उन्हें साहित्य की तरफ़ खींच लाया। अब्दुल्लाह की रचनाएं ब्रूकलिन रेल (न्यू यॉर्क), वसाफिरी (लंदन), द हिंदू (भारत), द डेली स्टार (बांग्लादेश) और फ्राइडे टाइम्स (पाकिस्तान) में प्रकाशित हुई हैं। पटकथा लेखक के रूप में उनकी पहली फ़िल्म विराम थी, जो 2017 में रिलीज़ हुई थी। पटना ब्लूज़ का प्रकाशन हिंदी के अतिरिक्त उर्दू, कन्नड़, मराठी, मलयालम, बांग्ला और तमिल मन भी किया जा रहा है।