About the Book
इस पुस्तक में संकलित कहानियों की कथावस्तु की नव्यता और नैसर्गिकता निस्संदेह आकर्षित करती है। इन कहानियों के पठनोपरांत पाठक निश्चित ही अनुभव करेंगे कि उन्होंने ऐसा कुछ पढ़ा है, जो उनको कुछ ख़ास दे रहा है। एक बड़ी बात तो यह है कि संग्रह की कोई भी कहानी पाठक को शिल्पगत चमत्कार पैदा करने के लिए न तो यहाँ-वहाँ भटकाती है और न ही किसी प्रकार के उपदेश के फेर में पड़ती है। यह बात उल्लेखनीय है कि प्रत्येक कहानी में ऐसा कुछ ख़ास अवश्य है, जो पढ़ते-पढ़ते नए ज्ञान के साथ जीवनोपयोगी मंत्र भी सौंप जाता है। इन कहानियों को पढ़ते हुए पाठक के मन में यह अहसास अवश्य जागेगा कि उसने जीवन के यथार्थ से साक्षात्कार किया है।
इन कहानियों की रचना में लेखक का श्रम प्रणम्य और कहानियों के लिए शोध कार्य अभिनंदनीय है। संग्रह की कहानियाँ पठन आनंद और प्रेरणा दोनों से पाठकों को निश्चित ही सोचने को विवश करेंगी।
About the Author(s)
सुरेश पटवा का जन्म मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में हुआ था। उन्होंने डॉ. हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय से एम.कॉम. किया। वे भारतीय स्टेट बैंक में 38 वर्ष सेवा करने के बाद सहायक महाप्रबंधक के पद से सेवानिवृत्त होकर 2012 से पूर्णकालिक लेखन में व्यस्त हैं।
उनकी अब तक प्रकाशित आठ किताबों ग़ुलामी की कहानी, पचमढ़ी की खोज,
स्त्री-पुरुष, नर्मदा, तलवार की धार, पलक गाथा, महाकौशल-गोंडवाना का भूला बिसरा इतिहास और सुरमयी लता से पता चलता है कि सम्बंधित विषय के गंभीरतापूर्ण अध्ययन के उपरांत ही उनकी कलम चलती है, जो पाठक को बाँधने में सक्षम है।
उन्हें तुलसी साहित्य अकादमी द्वारा तुलसी सम्मान से अलंकृत किया गया है। अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मेलन ने उन्हें डॉ. पोथुकुची साम्बा शिवराम मेमोरियल एक्सेलेन्सी अवॉर्ड से सम्मानित किया है। प्रभात साहित्य परिषद द्वारा शफ़ीक़ तनवीर सम्मान प्रदान किया गया है और साथ ही सत्य की मशाल व्यंग्य साहित्य सेवी सम्मान भी 2022 में प्रदान किया गया है।