Rabda ( Hindi)

Rabda ( Hindi)

Author : Ruzbeh N Bharucha

In stock
Rs. 250.00
Classification Self-help/ Mind, Body, Spirit
Pub Date June 2017
Imprint Penguin-Random House - Manjul
Page Extent 252
Binding Paperback
Language Hindi
ISBN 9780143429814
In stock
Rs. 250.00
(inclusive all taxes)
OR
About the Book

रबदा
रुज़बेह एन. भरूच

मेरे साई.. मेरी श्वास
बेस्टसेलिंग द फ़क़ीर श्रंखला के लेखक की ओर से आस्था, उम्मीद ओर समर्पण ओर शिरडी के साई बाबा पर लिखी गयी पुस्तक

भरुच उन लोगों मैं से हैं जो किसी एक धर्म या संप्रदाय मैं विश्वास नहीं रखते, जिनके लिए आध्यात्मिकता उतनी ही सहज है, जैसे किसी मनुष्य का श्वास लेना. वे ईश्वर को दयालु और मित्रवत रूप में देखते हैं.
- लाइफ पॉज़िटिव

श्वास-श्वास में साई
रबदा ने आत्महत्या का प्रयास किया और संभावना है कि वः जीवित नहीं बचेगा. शिरडी के साईं बाबा अस्पताल में रबदा के कक्ष में प्रवेश करते हैं और रबदा कि आत्मा को जागृत कर देते हैं. गुरु और संगीतकार, दोनों मिलकर जीवन, मृत्यु तथा इनके बीच की बातों पर चर्चा करते हैं.

वर्तमान काल से, रबदा अपने पाठकों को अतीत में ले जाता है, जब साई अपने भौतिक शरीर में उपस्थित थे. प्रायः शिरडी के साईं बाबा के अपने ही शब्दों में उनके जीवन का दर्शन प्रकट होता है, और कई स्थानों पर वे पूछे गए प्रश्नों व् आध्यात्मिकता के विषय में उत्तर देते हैं.
एक शक्तिशाली एवं आध्यात्मिक रूप से समृद्ध पुस्तक, रबदा एक ऐसी यात्रा है, जिसे आप निश्चित रूप से करना चाहेंगे.

'आध्यात्मिक लेखक रुज़बेह एन. भरूच अपनी पुस्तकों में कर्म, दैवत्व, मृत्यु के बाद जीवन तथा क्षमाभाव जैसे विषयों को उठाते हैं.
- मिड डे

About the Author(s)

शिरडी के साईं भक्त, रुज़बेह एन भरुचा, हमारे समय के प्रभावशाली आध्यात्मिक लेखकों में से एक हैं. उन्होंने ग्यारह पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें तीन बेस्टसेलिंग पुस्तकों की श्रंखला द फ़कीर भी शामिल है, जिसका अनेक भाषाओँ में अनुवाद हो चूका है.
वे एक भूतपूर्व पत्रकार होने के अतिरिक्त, एक वित्तचित्र फ़िल्म निर्माता भी हैं. उनका वित्तचित्र 'सेहत...विंग्स ऑफ़ फ़्रीडम' तिहाड़ जेल में एड्स और एच.आई.वी पर बना था, जिसे 2008 में आयोजित 17वें अंतराष्ट्रीय एड्स कांफ्रेंस में स्क्रीनिंग के लिए चुना गया था. उनके आलेख 'टाइम्स ऑफ़ इंडिया', 'फ्री प्रेस', 'इंडियन एक्सप्रेस', 'महाराष्ट्र हेरोल्ड', 'संडे ऑब्ज़र्वर', 'जाम-ए-जमशेद' व् 'आफ्टरनून' जैसे विविध प्रकाशनों में प्रकाशित होते रहते हैं.
उनकी पुस्तक 'माई गॉड इज़ ए जुविनाइल डेलिनक्वेंट' को 'ऑल ज्यूडिशयल एकेडमीज़' की रीडिंग लिस्ट में शामिल किया गया है.

रुज़बेह 'द स्पीकिंग ट्री' के लिए 110वें गुरु भी हैं, जहाँ वें आध्यात्मिकता पर एक ब्लॉग लेखन करते हैं, जो बहुत लोकप्रिय है.
वें इन दिनों अपने परिवार के साथ पुणे में रहते हैं.

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