Ashok Sangini ( Hindi)

Ashok Sangini ( Hindi)

Author : Prem Rungta

In stock
Rs. 595.00
Classification Fiction
Pub Date Feb 2022
Imprint Sarvatra (An Imprint of Manjul Publishing House)
Page Extent 510
Binding Paperback
Language Hindi
ISBN 9789355430991
In stock
Rs. 595.00
(inclusive all taxes)
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About the Book

पिछले संस्करण में आपने देखा कि अशोक उज्जैनी के विद्रोह को शांत करने में सफल रहा। जब वह पाटलिपुत्र लौटा, तब सम्राट बिंदुसार ने उसे पुरस्कार-स्वरुप मगध से निष्कासन दे दिया। अशोक को अत्यंत क्रोध आया और उसने मगध का त्याग कर दिया। दूसरी ओर, सुशीम ने अपने अहं के मद में कुछ ऐसे निर्णय लिये जिनसे तक्षशिला में भय और विरोध का वातावरण व्याप्त होकर रह गया।
अब तक्षशिला में यवनों का विरोध प्रत्यक्ष स्वरुप ले चुका है और सुशीम उसे कुचल पाने में असमर्थ रहा है। इसलिये पाटलिपुत्र की मगध-सत्ता ने पुन: अशोक को स्मरण किया है। परन्तु क्या अशोक अपने अपमान को भुलाकर तक्षशिला का प्रस्ताव स्वीकार करेगा? और अगर वह तक्षशिला की ओर प्रस्थान कर भी देता है, तो क्या वह यवनों के विद्रोह को शांत कर पाने में समर्थ होगा? पाटलिपुत्र में व्याप्त अव्यवस्था और राजनैतिक अस्थिरता का भविष्य क्या होगा?
इन प्रश्नों के उत्तर लेकर प्रस्तुत है यह संस्करण।

About the Author(s)

प्रेम के लिए इस किताब को लिखने का सफ़र मुश्किलों भरा था। कोरोना के दौर की उलझनों से हैरान-परेशान, उनका वक्त स़िर्फ अपनी ज़िंदगी को खुद से बांधे रखने की कोशिशों में बीतता गया। ख़बरों के शोर में, अपने ज़हन में बसने वाली तस्वीरों को जिंदा रखना... कुछ मुश्किल-सा जान पड़ा। फिर भी उन्होंने अपनी तरफ़ से कोशिश की है कि उनके हाथ उन ख़यालों और तस्वीरों के साथ इंसाफ़ कर सकें। इस काम में वे कितने कामयाब रहे हैं, इस सवाल का जवाब तो स़िर्फ पाठक ही दे सकते हैं।

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