About the Book
मानव जीवन का अंतिम लक्ष्य परमात्मा की प्राप्ति है, परन्तु यह जानते हुये भी
मनुष्य भोगमयी जीवन को छोड़ नहीं पाता। अत: इस भोगमयी जीवन से भावमयी
जीवन के चिन्तन की ओर ले जाने के लिये भागवत शास्त्र की रचना की गई है। इस शास्त्र का सार है, जीव को भौतिक चेतना से उठाकर भागवत चेतना में स्थापित करना।
परमात्मा की कथा अमृत तुल्य है और यह ताप दग्धित जीवन में अमृत का सिंचन करती है। इसके श्रवण मात्र से शुभमंगल एवं श्रीनिधि की प्राप्ति होती है क्योंकि भागवत शास्त्र परमात्मा नारायण की साक्षात मूर्ति है।
श्रीमद् भागवत एक ज्ञानदीप है जिसके प्रकाश में मानव अपने जीवन का संचालन करता है। श्रीहरि का स्वभाव साधारण और असाधारण दोनों को आकर्षित करता है तथा श्रीहरि की अहेतु की भक्ति व निष्काम भक्ति से ही परमात्मा की प्राप्ति होती है। यह ग्रंथ उच्च कोटि की पवित्र प्रेरणा देता है। मीरा, तुकाराम, ध्रुव, प्रहलाद आदि कई संतपुरूषों ने भक्ति से ही परमात्मा की प्राप्ति की है ।
भागवत ब्रम्हविद्या का विज्ञान है और यह व्यक्ति को भावमय जीवन की ओर ले जाकर परमात्मा का चिंतन कराता हुआ, परमात्मा की प्राप्ति सहज रूप से करा देता है। यही इस शास्त्र की विशेषता है।