Surmayi Lata ( Hindi)

Surmayi Lata ( Hindi)

Author : SURESH PATWA

In stock
Rs. 195.00
Classification Music
Pub Date Sep 2022
Imprint Sarvatra (An Imprint of Manjul Publishing House)
Page Extent 102
Binding Paperback
Language Hindi
ISBN 9789355432209
In stock
Rs. 195.00
(inclusive all taxes)
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About the Book

जब लता मंगेशकर को 1949 में फ़िल्म महल के ‘आयेगा आने वाला...’ से एक बड़ी सफलता मिली, तो उन्होंने हिंदी सिनेमा में पार्श्वगायन के दृश्य को पूरी तरह से बदलने की शुरुआत की। वहीं से हिंदी सिनेमा के स्वर्णयुग में मधुर कर्णप्रिय गीत गायन की शुरुआत हुई। उसके बाद लता ने जो पार्श्वगायन शुरू किया, उससे 1950 और 1960 के दो दशकों में सफल हिंदी फ़िल्मों और तों का निर्माण हुआ। उस समय को हिंदी फिल्म गीतों के स्वर्ण युग के रूप में जाना जाता है। जैसे ही लता मंगेशकर ने शीर्ष पर अपनी चढ़ाई शुरू की, कई नायिकाओं ने अपने अनुबंधों में यह लिखवाना शुरू कर दिया कि वे लता द्वारा गाए गीतों को ही पर्दे पर अभिनीत करेंगी। इसके अलावा, कई निर्माताओं और संगीतकारों ने हर नायिका के लिए उनकी आवाज में गाने रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया। लता के लिए ऐसी मांग थी कि वह प्रायः हरेक फिल्म में गाने गा रही थीं। केवल कुछ गाने अन्य गायिकाओं के पास जा रहे थे।

यह किताब सुरमयी लता मंगेशकर के पार्श्वगायन इतिहास का एक रोचक दस्तावेज है। इसमें उनके संघर्ष, यादें, प्रसंग, विवाद और किस्से सभी कुछ उनके गाए प्रसिद्ध गीतों के साथ पिरोए गए हैं।

About the Author(s)

सुरेश पटवा का जन्म मध्यप्रदेश के होशंगाबाद ज़िले में हुआ था। उन्होंने डॉ. हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय से एम.कॉम. किया। वे भारतीय स्टेट बैंक में 38 वर्ष सेवा करने के बाद सहायक महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त होकर 2012 से पूर्णकालिक लेखन में व्यस्त हैं।
उनकी अब तक प्रकाशित आठ किताबों ग़ुलामी की कहानी, पचमढ़ी की खोज, स्त्री-पुरुष, नर्मदा, तलवार की धार, पलक गाथा, महाकौशल-गोंडवाना का भूला बिसरा इतिहास और कहानी संग्रह प्रेमार्थ से पता चलता है कि सम्बंधित विषय के गंभीरतापूर्ण अध्ययन के उपरांत ही उनकी कलम चलती है, जो पाठक को बाँधने में सक्षम है।
उन्हें तुलसी साहित्य अकादमी द्वारा तुलसी सम्मान से अलंकृत किया गया है। अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मेलन ने उन्हें डॉ. पोथुकुची साम्बा शिवराम मेमोरियल एक्सेलेन्सी अवॉर्ड से सम्मानित किया है। प्रभात साहित्य परिषद द्वारा शफ़ीक़ तनवीर सम्मान प्रदान किया गया है और साथ ही सत्य की मशाल व्यंग्य साहित्य सेवी सम्मान भी 2022 में प्रदान किया गया है।

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