About the Book
जब लता मंगेशकर को 1949 में फ़िल्म महल के ‘आयेगा आने वाला...’ से एक बड़ी सफलता मिली, तो उन्होंने हिंदी सिनेमा में पार्श्वगायन के दृश्य को पूरी तरह से बदलने की शुरुआत की। वहीं से हिंदी सिनेमा के स्वर्णयुग में मधुर कर्णप्रिय गीत गायन की शुरुआत हुई। उसके बाद लता ने जो पार्श्वगायन शुरू किया, उससे 1950 और 1960 के दो दशकों में सफल हिंदी फ़िल्मों और तों का निर्माण हुआ। उस समय को हिंदी फिल्म गीतों के स्वर्ण युग के रूप में जाना जाता है। जैसे ही लता मंगेशकर ने शीर्ष पर अपनी चढ़ाई शुरू की, कई नायिकाओं ने अपने अनुबंधों में यह लिखवाना शुरू कर दिया कि वे लता द्वारा गाए गीतों को ही पर्दे पर अभिनीत करेंगी। इसके अलावा, कई निर्माताओं और संगीतकारों ने हर नायिका के लिए उनकी आवाज में गाने रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया। लता के लिए ऐसी मांग थी कि वह प्रायः हरेक फिल्म में गाने गा रही थीं। केवल कुछ गाने अन्य गायिकाओं के पास जा रहे थे।
यह किताब सुरमयी लता मंगेशकर के पार्श्वगायन इतिहास का एक रोचक दस्तावेज है। इसमें उनके संघर्ष, यादें, प्रसंग, विवाद और किस्से सभी कुछ उनके गाए प्रसिद्ध गीतों के साथ पिरोए गए हैं।