About the Book
महाभारत का युद्ध मात्र एक युद्ध न होकर मानवता के एक कालखंड, एक युग के अंत का परिचायक भी है I यह कुरुक्षेत्र की भूमि पर कौरवों और पांडवों के बीच हुए एक ऐसे भीषण व नृशंस युद्ध की गाथा है जो भाइयों के मध्य हुए ईर्ष्या-जनित रक्तपात को दर्शाती है, और साथ हे छल, अपमान तथा उसके फलस्वरूप उत्पन्न प्रतिशोध के भावों को भी अत्यंत पुष्ट व प्रबल रूप मैं उजागर करती है I
इस उपन्यास में लेखिका ने पांडवों की पत्नी एवं पांचाल नरेश द्रुपद की पुत्री पांचाली के माध्यम से न सिर्फ़ महाभारत की सम्पूर्ण कथा को अत्यंत सजीव और रोचक ढंग से उकेरा है, अपितु नारी की सोच, उसकी समस्याओं, उसके द्वंद एवं गूढ़ आंतरिक मनोभावों का बेहद व्यापकता से वर्णन किया है I इस उपन्यास में महाभारत की पृष्ठभूमि, उसके पात्रों एवं नारी-परक दृष्टिकोण को देखने-समझने का नया आयाम मिलेगा I