About the Book
आपकी शादी के बाद क्या आपका किसी महिला के साथ प्रेम संबंध रहा?
(मैंने अमिताभ बच्चन से पुछा)
'नहीं, बिलकुल नहीं।'
मैंने जया की ओर पलटते हुए पूछा कि वह अमिताभ पर विश्वास करती हैं।
जया एकदम चकित रह गईं। उन्होंने कहा-
'मैं हमेशा अपने पति पर विश्वास करती हूँ।'
'क्या यह सच है, या आप सिर्फ़ इसलिए ऐसा कह रही हैं, क्योंकि वह आपके पास बैठे हैं?'
जया मुस्कराई। अब उन्होंने अमिताभ की ओर मुड़कर देखा ओर कहा , 'यह बिलकुल सच है। मैं क्यों उन पर विश्वास नहीं करुँगी?'
बेनज़ीर भुट्टो को आइसक्रीम पसंद थी। वे इसे चाहे जितनी खा सकते थीं। बाद के वर्षों मैं बेन ऐंड जैरीज़ उनकी पसंदीदा आइसक्रीम बन गई थी। जब भी मैं कोई कठिन साक्षात्कार करता था, वह इस बात पर ज़ोर देती थीं कि हम साथ में आइसक्रीम खाएं। वे मज़ाक में कहतीं, 'इससे तुम शांत हो जाओगे।'
सोमवार की दोपहर मोदी का फ़ोन आया। 'मेरे कंधे पे बंदूक रख कर आप गोली मार रहे हो।' मैंने कहा कि मैंने यही अनुमान लगाया था। वास्तव में इसी कारण से मुझे लगा था कि उन्हें साक्षात्कार पूरा करना चाहिए था, बीच में उठकर नहीं जाना था। मोदी हँसे। फिर उन्होंने जो कहा, मैं कभी नहीं भूल सकूंगा। 'करण ब्रदर, आई लव यू। जब मैं दिल्ली आऊंगा तो भोजन करेंगे।'
1976 की गर्मियों के दिनों की बात है, जब संजय गांधी ने मुझसे पूछा कि क्या मैं उनके साथ उड़ान भरना पसंद करूँगा।।।
करण थापर को उड़ान भरना सिखाने की कोशिश के बाद संजय गांधी ने नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया और कई तरह के हवाई करतब दिखाए, जो ख़तरनाक तो नहीं थे पर बेहद रोमांचक थे। जब वे दिल्ली से काफी दूर आए गए, तब वे और भी साहसी बन गए। उन्होंने सोचा कि नीचे खेतों में काम कर रहे किसानों को विमान से सीधे निशाना साध कर डराया जाए। जैसे ही उन्होंने नीचे कि ओर गोता लगाया, तो किसान जान बचने के लिए घबराकर इधर-उधर भागने लगे। आख़िर में संजय नाटकीय रूप से विमान ऊपर ले गए ओर घबराए हुए किसानों कि ओर हाथ हिलाया। वह अपने इस मज़ाक से बेहद ख़ुश नज़र आ रहे थे। ऐसा दुस्साहसिक करतब के लिए मज़बूत इरादे ओर भरपूर आत्मविश्वास की ज़रुरत होती है, ार संजय में ये दोनों ही बातें मौजूद थीं।
इस पुस्तक में करण थापर ने अपनी ज़िन्दगी के ऐसे कई किस्सों गहराई से पड़ताल की है। इनमें शामिल हैं बेनज़ीर भुट्टो से गहरी ओर लंबे समय तक चली दोस्ती की कहानियां। वे बेनज़ीर से तब मिले थे जब वह ग्रैजूएशन कर रहे थे। वे आंग सान सू की और राजीव गांधी से अपने लंबे जुड़ाव के बारे में भी बताते हैं। हालाँकि उनकी कई मैत्रियां कायम नहीं रहीं, जैसे कि लालकृष्ण अडवाणी के साथ। उनके साथ थापर के निकट संबंध तब तक बने रहे जब तक एक इंटरव्यू के कारण दुर्भाग्यपूर्ण मतभेद नहीं हो गए और दोस्ती ख़त्म हो गई।
किसी-किसी इंटरव्यू के बाद पैदा हुआ तनाव बना रहा, तथा करण ने इन मौकों की विस्तार से चर्चा की है। उदहारण के लिए इंटरव्यू के बाद लंच के दौरान जब अमिताभ बच्चन अपना आप खो बैठे या जब कपिल देव बच्चे की तरह रोने लगे। इस पुस्तक में जे। जयललिता और नरेंद्र मोदी के साथ लिए गए उनके दो विवादित साक्षात्कारों के अनसुने किस्से भी हैं।
जयललिता ने बाद में उसे हँसी में उदा दिया जबकि मोदी के इंटरव्यू छोड़कर जाने के बाद स्थितियां समय के साथ और बदतर होती गईं।
यह पुस्तक करण थापर द्वारा लिए गए साक्षात्कारों की तरह ही प्रभावी और तेज़तर्रार है, जो किसी हद को नहीं मानती।